तमिलनाडु की 11 साल की नतानिया जॉन ने शुक्रवार को फीफा विश्व कप 2018 में मैदान पर उतरते ही इतिहास रच दिया। नतानिया ने कोस्टा रिका के खिलाफ मुकाबले में स्टार फुटबॉलर नेमार की टीम ब्राजील के लिए आधिकारिक तौर पर बॉल गर्ल का काम किया। फीफा विश्व कप में बॉल गर्ल बनने वाली वह पहली भारतीय हैं। सेंट पीटर्सबर्ग में शुक्रवार को ग्रुप-ई में ब्राजील और कोस्टा रिका के बीच मैच में नतानिया ने अधिकारिक मैच बॉल गर्ल (ओएमबीसी) का काम किया। इससे पहले कोई भी भारतीय लड़की फीफा वर्ल्ड कप में किसी भी तरह से नहीं जुड़ी।
कौन हैं नतानिया
चिट्टर के ऋषि वैली स्कूल में छठी कक्षा की छात्रा नतानिया को यह मौका कर्नाटक के ऋषि तेज के साथ मिला है। इन दोनों ही बच्चों का चयन एक प्रतियोगिता के जरिये हुआ। फीफा के आधिकारिक सहयोगी केआइए की तरफ से कराई प्रतियोगिता में नतानिया ने हिस्सा लिया था। इस प्रतियोगिता में शीर्ष 50 तक पहुंचने वालों में नतानिया अकेली लड़की थीं। फुटबॉल में नतानिया की रुचि और जानकारी देखकर प्रतियोगिता के जज के साथ भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने उन्हें चुना। नतानिया फीफा विश्व कप में पहली भारतीय बॉल गर्ल हैं। नतानिया बड़े होकर फुटबॉल खेलना चाहती हैं और उनके लिए यह मौका बहुत अहम है। मुकाबले से पहले नतानिया कहा था कि मुझे अभी तक यकीन नहीं हो रहा है कि मैं सचमुच ब्राजील की टीम के लिए बॉल गर्ल का काम करूंगी।
16 साल पहले एक भारतीय बना था रेफरी
मालूम हो कि फीफा विश्व कप 2002 में तमिलनाडु के रेफरी के शंकर ने हिस्सा लिया था और वह भारत के लिए पहला मौका था जब किसी भारतीय ने फुटबॉल के महाकुंभ में अपनी भूमिका निभाई। 2018 विश्व कप में 16 बाद एक बार फिर एक भारतीय के हिस्सा लेने का मौका आया। नतानिया ने बॉल गर्ल बनकर इस इतिहास को फिर से दोहरा दिया।
क्या होता है बॉल गर्ल का काम
बॉल गर्ल और बॉल ब्वॉय वो होते हैं जो खेल के दौरान मैदान से बाहर पहुंची गेंद को वापस खिलाड़ी या मैच ऑफिशियल तक पहुंचाते हैं। फुटबॉल, क्रिकेट, टेनिस, बेसबॉल और बॉस्केटबॉल में अमूमन ये बॉल गर्ल या बॉल ब्वॉय रखे जाते हैं। ये बच्चे न सिर्फ खेल की गति को बनाए रखने में मदद करते हैं बल्कि अतिरिक्त समय भी बचाते हैं।