गुजरात के चुनावी दौरे के बीच कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पाटन स्थित ऐतिहासिक बावड़ी ‘रानी की वाव’ देखने पहुंचे. आपको बता दें कि रानी की वाव वास्तुकला का बेजोड़ नमूना माना जाता है. यही वजह है कि आज भी दुनिया भर से आए लोग इसे देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं.
वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल रानी की वाव की ख़ास बात यह है कि इसका आकार मंदिर से ठीक उल्टा है. इसका निर्माण 11वीं सदी में सोलंकी शासक राजा भीमदेव की याद में उनकी पत्नी रानी उदयमती ने करवाया था.
आपको यह जानकार हैरानी होगी कि रानी की वाव से 30 किमी लंबी रहस्यमयी सुरंग निकलती है, जो पाटण के सिद्धपुर में खुलती है. माना जाता है कि युद्ध के वक्त राजा और परिवार को खुफिया रास्तों से निकालने के लिए इसका इस्तेमाल होता था.
वाव में हजार से भी ज्यादा छोटे बड़े स्कल्पचर हैं. यहां की दीवारों और खंभों पर ज्यादातर नक्काशियां विष्णु और उनके अवतार राम, वामन, महिषासुरमर्दिनी, कल्कि की हैं.
ऐसी मान्यता है कि वाव के पानी से नहाने पर बीमारियां नहीं होती. क्योंकि इसके आसपास आयुर्वेदिक पौधे लगे हुए हैं, जो पानी को औषधि युक्त बना देते हैं.
64 मीटर लंबी, 20 मीटर चौड़ी और 27 मीटर गहरी रानी की वाव के तलहट में पानी का टैंक है. इतिहासकारों की मानें तो रानी की वाव कभी सात मंजिला हुआ करती थी, जो अब केवल 5 मंजिला ही बची है.
कहा जाता है कि विदेशी सिविल इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स रानी की वाव की वास्तुकला देखने ख़ासतौर पर गुजरात आते हैं. हर साल यहां सरकार रानी का वाव उत्सव भी करवाती है, जहां दुनिया भर से लोग पहुंचते हैं.