अमर बेल गंजेपन, गठिया, जोड़ों के दर्द, बवासीर, चोट लगने पर, बच्चों की लम्बाई बढ़ाने, नज़र कमज़ोर होने पर आदि रोगों पर उपयोगी है. आइये जाने इसके विभिन्न रोगों में प्रयोग. अमर बेल अकसर पेड़ों की टहनियों पर फैली हुई पाई जाती है। अमर बेल बहुत कोमल रसीली हरी होती है। अमर बेल लगभग पूरे भारत वर्ष में पाई जाती है। अलग अलग राज्यों में अमर बेल को आकाशबल्ली, कसूसे हिन्द, स्वर्ण लता, निर्मुली, आलोक लता, अमर बेल, रस बेल, आकाश बेल, डोडर, नुलु तेगा, अंधा बेल आदि नामें से पुकारा जाता है।
अमर बेल पेड़ की जड़ पेड़ की टहनियों के अन्दर से निकलती है। इसका मिटटी से कोई लेना देना नहीं होता. इसकी टहनी को किसी पेड़ पर फेंक दो तो ये वहीँ पर बढ़ने लग जाती है और पेड़ की टहनियों का रस चस कर जीवित रहती है। अमर बेल मिट्टी में नहीं होती इसी लिए आकाश बेल भी कहते हैं। अमर बेल गहरी पीली हरी रंग में पाई जाती है। अमर बेल का आर्युवेद जगत में विशेष स्थान है। आइये जानते हैं इसके फाय
गंजापन होने पर या बाल झड़ने पर 30 ग्राम अमर बेल को पीसकर उसमें 2 चम्मच तिल तेल मिलाकर सिर पर मसाज करने से बाल झड़ना रूक जाते हैं, और टूटे बाल पुन आने लगते हैं। अमर बेल बालों के लिए रामबाण दवा मानी जाती है। रोज अमर बेल को घोटकर बालों को धोने से जल्दी फायदा होता है। अमर बेल बालों से रूसी को जादू की तरह गायब कर देती है। अमर बेल जूं को और जूं अण्डे शीध्र नष्ट करने में सक्षम है
अमर बेल को घोटकर पेस्ट बना लें। गठिया जोंड़ों के दर्द अंगों जगह पर लेप लगाकर पट्टी कर दें। अमर बेल पेस्ट तुरन्त गठिया जोड़ों का दर्द सूजन ठीक करने में सक्षम है बवासीर होने पर 20 ग्राम अमर बेल का स्वरस ले कर इसको 5 ग्राम जीरा पाउडर और 4 ग्राम काली मिर्च पाउडर में अच्छे से घोटकर 1 गिलास पानी में मिलाकर लगातार सुबह शाम तीन दिन पीने से खूनी और बादी बवासीर दोनों में ही बहुत आराम होता है