पापुआ न्यू गिनी की सरकार यूजर्स के व्यवहार समझने और फर्जी खबरों से उन्हें बचाने के लिए फेसबुक को एक महीने के लिए प्रतिबंधित करने की योजना बना रही है.
‘द पोस्ट कूरियर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संचार मंत्री सैम बासिल ने कहा कि इस प्रतिबंध से पापुआ न्यू गिनी नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट और विभाग यह अध्ययन करने में सक्षम होगा कि यूजर्स द्वारा सोशल नेटवर्किंग साइट का कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है.
बासिल ने कहा, ‘इस अवधि के दौरान उन यूजर्स की पहचान की जाएगी और उनके बारे में जानकारी जुटाई जाएगी, जो फर्जी खाते के पीछे छिपे हैं, जो अश्लील चित्र अपलोड करते हैं और ऐसे यूजर्स जो झूठी व गुमराह करने वाली सूचना फेसबुक पर पोस्ट करते हैं, उन्हें पहचाना जा सकेगा और हटाया जा सकेगा.’
सरकार की ओर से ये कदम कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल को ध्यान में रखकर उठाया जा रहा है. फिलहाल सरकार के इस कदम को लेकर फेसबुक की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. साथ ही यहां सरकार साइबर क्राइम एक्ट को भी लागू करने का लक्ष्य लेकर चल रही है.
गौरतलब है कि फेसबुक कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल के बाद अपने यूजर्स का विश्वास वापस पाने पर काम कर रहा है. कैम्ब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक के 8.7 करोड़ यूजर्स के डेटा का दुरुपयोग किया था. इसके बाद अप्रैल में मार्क जकरबर्ग अमेरिकी सीनेट के सामने सवाल-जवाब के लिए भी पेश हुए थे. पिछले हफ्ते जकरबर्ग यूरोपियन पार्लियामेंट के सामने भी हाजिर हुए थे. इस दौरान चुनावों पर फेसबुक के प्रभाव को लेकर चर्चा की गई.
क्या था मामला?
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की मदद करने वाली एक फर्म ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ पर लगभग 8.7 करोड़ फेसबुक यूजर्स की निजी जानकारी चुराने का आरोप लगा था. इस जानकारी को कथित तौर पर चुनाव के दौरान ट्रंप को जिताने में सहयोग और विरोधी की छवि खराब करने के लिए इस्तेमाल किया गया था.
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