हर साल मनाया जाने वाला शरद पूर्णिमा का त्यौहार इस साल 19 अक्टूबर को मनाया जाने वाला है। यह पर्व हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। वैसे शरद पूर्णिमा को कोजोगार पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। कहा जाता है इस रात चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट एवं अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस दौरान हर तरफ सफेद रोशनी दिखती है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं शरद पूर्णिमा की पूजा विधि और उपाय।
ऐसा कहा जाता है शरद पूर्णिमा की रात में धन की देवी माता लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवारी करते हुए घूमने के लिए निकलती हैं और देखती हैं कि कौन जाग रहा है। इसी के चलते ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी के साधक सारी रात जागकर उनकी साधना-आराधना करें तो वह खुश होती हैं।
ऐसा माना जाता है शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत की वर्षा होती है। जी दरअसल चंद्रदेव अपनी अमृत किरणों से पृथ्वी पर अपनी शीतलता और पोशक शक्ति की अमृत वर्षा करते हैं। इसी के चलते चांदनी रात में विशेष रूप से खीर का प्रसाद बनाकर लोग उसे चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं। इस दौरान चंद्रमा की रोशनी से निकलने वाले अमृत तत्व खीर में आ जाता है और जो उसे ग्रहण करता है वह साल भर सुखी, समृद्ध और निरोगी रहता है।
शरद पूर्णिमा के उपाय- शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इसी के साथ इस दिन श्री सूक्त का पाठ, कनकधारा स्त्रोत, विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करने पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कुँवारी कन्याएं प्रात:काल सूर्यदेव और रात्रि को चन्द्रदेव की पूजा करें तो मनचाहा जीवनसाथी मिलता है।