परमात्मा योगेश्वर श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन संघर्षमय रहा और विवादों का भी नाता उनके जीवन से जुड़ा रहा। भगवान श्रीकृष्ण का अविर्भाव द्वापर युग में भाद्रपद अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। राजा परीक्षित को द्वापर युग का अंतिम नरेश माना गया है और उन्हीं के कार्यकाल से ही कलियुग का आरम्भ हुआ। वर्तमान में कलियुग के 5123 वर्ष व्यतीत हो गये हैं। फिर भी भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य तिथि विवाद में है। इस व्रत के लिए स्मार्तानाम व वैष्णवानाम का भेद पहले से रहा है। इस साल भी तिथि व नक्षत्र का भेद तो है ही, इसके अलावा कुछ विद्वानों ने मीडिया ट्रायल में नया बखेड़ा खड़ा कर पर्व को तीन दिनों में बांट दिया है।
इन्हीं विद्वानों के मुताबिक भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दो दिन पड़ रही है। 18 अगस्त 2022 गुरुवार की रात 09:21बजे से अष्टमी तिथि शुरू हो रही है जो कि 19 अगस्त 2022 शुक्रवार की रात 10.50 बजे तक रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मध्यरात्रि 12 बजे हुआ था लिहाजा रात्रि में कान्हा का जन्मोत्सव मनाने के लिए 18 अगस्त का दिन उत्तम है।
गणेश आपा व महावीर पंचांग के अनुसार 19 अगस्त शुक्रवार की रात्रि 13.06 बजे तक है अष्टमी:उधर हनुमत संस्कृत महाविद्यालय के पूर्वाचार्य हरफूल शास्त्री का कहना है कि काशी से प्रकाशित के पंचांग ही यहां प्रचलित हैं। इन सभी में बहुत स्पष्ट है कि शुक्रवार को मध्यरात्रि में अष्टमी तिथि मिल रही और सूर्योदय पर भी अष्टमी है। इसके कारण तिथि प्रधान उत्सव में किसी प्रकार के मतभेद की संभावना नहीं है और इस लिहाज चाहे वैष्णव हो अथवा स्मार्त सभी शुक्रवार 19 अगस्त को ही जन्माष्टमी का व्रत करेंगे और और शनिवार 20 अगस्त को नवमी में पारण करेंगे। उन्होंने बताया कि गणेश आपा पंचांग के मुताबिक अष्टमी तिथि गुरुवार को रात्रि 12.14 बजे लगेगी और 19 अगस्त शुक्रवार को पूरे दिन रहकर रात्रि 1.06 मिनट अथवा 13.06 बजे तक रहेगी। इसी तरह हनुमानगढ़ी के ही पुरोहित पं. सतीश वैदिक ने महावीर पंचांग के हवाले से बताया कि अष्टमी गुरुवार को रात्रि 12.14 बजे से शुरु होगी और शुक्रवार को रात्रि 01.06 बजे तक रहेगी।
रामजन्मभूमि, कनक भवन व बड़ास्थान में 19 अगस्त को मनेगा पर्व:रामजन्मभूमि में विराजमान रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येन्द्र दास शास्त्री बताते हैं कि रामनवमी या जन्माष्टमी यह सभी पर्व तिथि प्रधान है जिसके कारण जिस दिन अष्टमी तिथि मध्यरात्रि को मिलेगी, उसी दिन भगवान का अर्विभाव माना जाएगा और उसी प्रकार व्रत इत्यादि होंगे। उन्होंने बताया कि रामलला के दरबार में जन्माष्टमी 19 अगस्त को ही मनाई जाएगी। इसी तरह से कनक भवन, कालेराम मंदिर व जानकी महल सहित गृहस्थ परम्परा के सभी स्थानों में 19 अगस्त को ही जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इसी तरह से दशरथ महल बड़ास्थान पीठाधीश्वर बिंदुगद्याचार्य स्वामी देवेन्द्र प्रसादाचार्य महाराज ने बताया कि उदया तिथि में अष्टमी मिल रही है जिसके चलते 19 अगस्त को ही पर्व मनाया जाएगा।
हनुमानगढ़ी, मणिराम छावनी, रामवल्लभाकुंज व कौशलेश सदन सहित अन्य में 20 को मनेगा पर्व: उधर रोहिणी नक्षत्र को प्रधानता देने के कारण वैष्णव परम्परा के अधिकांश मंदिरों में 20 अगस्त शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा और इसी दिन व्रत भी होगा। मणिराम छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास महाराज ने बताया कि रोहिणी तिथि शनिवार को रहेगी, इसके कारण उसी दिन पर्व मनाया जाएगा। रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास ने निर्णय पत्रिका के हवाले से शनिवार को ही जन्माष्टमी मनाए जाने की पुष्टि की। इसी तरह से हनुमत निवास महंत आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि जातक के जन्म में नक्षत्र का महत्व होता है, इसलिए 20 अगस्त को ही पर्व मनाया जाएगा।