इस्लाम पर टिप्पणी को लेकर जर्मनी में चांसलर एंगेला मर्केल और गृहमंत्री होर्स्ट जीहोफर आमने-सामने आ गए हैं। जर्मनी के गृहमंत्री होर्स्ट जीहोफर ने कहा कि इस्लाम जर्मन संस्कृति का हिस्सा नहीं है। उनकी इस टिप्पणी के बाद मर्केल ने अपने ही गृहमंत्री की टिप्पणी को खारिज कर दिया और कहा कि इस्लाम ठीक उसी तरह से देश की संस्कृति और इतिहास का हिस्सा है जिस प्रकार से ईसाई और यहूदी धर्म हैं। लंबी कवायद के बाद बनी गठबंधन सरकार के लिए यह बयान चिंता का कारण बन सकते हैं।
जर्मनी के गृहमंत्री होर्स्ट जीहोफर ने एक स्थानीय अखबार बिल्ज को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ईसाईयों ने जर्मनी को आकार दिया है और देश को अपनी संस्कृति नहीं भूलना चाहिए, जबकि इस्लाम का जर्मनी के कोई रिश्ता नहीं है।
उन्होंने ईसाईयत से जुड़े पहलुओं की चर्चा करते हुए यह भी कहा कि जो मुस्लिम हमारे बीच रह रहे हैं वे जर्मनी के हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी संस्कृति और पहनावे को त्याग दें। उन्होंने कहा कि मुसलमान हमारे साथ रहें लेकिन न तो हमारे बाद और न ही हमारे खिलाफ।
दूसरी तरफ, चांसलर मर्केल 2015 से ही इस्लाम को जर्मनी की संस्कृति का हिस्सा मानती रही हैं। उन्होंने अपने गृहमंत्री की टिप्पणी को पूरी तरह खारिज करते हुए इस्लाम का बचाव किया।
एंगेला मर्केल ने स्वीडन के प्रीमियर स्टीफन लोफवेन से मुलाकात के बाद संयुक्त समाचार सम्मेलन में कहा कि इस्लाम देश का अटूट हिस्सा है। उन्होंने कहा कि देश में चार लाख मुस्लिम रहते हैं और वे यहां अपने मजहब को मान रहे हैं। वे सभी जर्मनी से जुड़े हुए हैं और इस्लाम धर्म भी जर्मनी से जुड़ा हुआ है।
शरणार्थियों को उनके देश भेजना चाहते हैं जीहोफर
संकट बढ़ा सकते हैं विरोधाभासी बयान
छह माह तक सरकार बनाने की कोशिशों के बाद आखिरकार बुधवार को चांसलर और नए मंत्रियों ने जर्मनी में शपथ ली है। लेकिन एक दिन बाद ही सरकार की तरफ से ऐसे विरोधाभासी बयानों को लेकर संकट की स्थिति बन सकती है, क्योंकि एंगेला मर्केल को सदन में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं है।
शरणार्थियों को उनके देश भेजना चाहते हैं जीहोफर
जर्मनी के गृहमंत्री जीहोफर वही शख्स हैं जिन्होंने शरणार्थियों को उनके देश भेजने की प्रक्रिया को तेज करने की बात कही है। सीएसयू नेता जीहोफर बीते महीनों में अक्सर चांसलर एंगेला मर्केल से टकराते रहे हैं और मर्केल की शरणार्थी नीतियों के कटु आलोचकों में से एक रहे हैं। उनकी यह टिप्पणी मतदाताओं को उनकी पार्टी की तरफ आकर्षित करने की कोशिश भी है।