इशरत जहां एनकाउंटर मामले में आरोपित गुजरात पुलिस के पूर्व अफसर एनके अमीन सीबीआइ की विशेष अदालत को बताया है कि पुलिस मुठभेड़ को फर्जी साबित करने के लिए साजिश रची गई थी।
सीबीआइ के विशेष जज जेके पांड्या की अदालत में शनिवार को अमीन ने अपनी जमानत अर्जी पर कहा कि उनके खिलाफ दायर एफआइआर झूठे तथ्यों पर आधारित गढ़ी गई थी और दुर्भावना से ग्रस्त थी। आरोपपत्र में अमीन पर 14 जून, 2004 को अपनी बंदूक से इशरत जहां और तीन अन्य पर पांच राउंड फायरिंग करने का आरोप लगाया गया है।
अमीन के मुताबिक इस साजिश में मामले का एक पूर्व जांचकर्ता आइपीएस अफसर सतीष वर्मा भी शामिल था। अमीन ने अदालत को बताया कि वर्मा ने यह साजिश तत्कालीन सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के इशारे पर रची थी। जैसे ही वर्मा ने इस मामले में एक अन्य आरोपी आइके चौहान को सरकारी गवाह बनने का लालच दिया उसने झटपट अमीन के खिलाफ गवाही दे दी। जबकि वह जानता था कि वह सरासर झूठ बोल रहा है।
कथित फर्जी एनकाउंटर के वक्त चौहान अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में एक पुलिस इंस्पेक्टर था। अमीन और सेवानिवृत्त आइपीएस डीजी बंजारा इस मामले में जमानत पर जेल से बाहर हैं। उन्होंने इस मामले में बरी किए जाने के लिए अपील की है। हालांकि सीबीआइ ने इन अपीलों का विरोध करते हुए कहा है कि इन आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं।
गौरतलब है कि मुंबई के मुंब्रा की रहने वाले 19 वर्षीय छात्रा इशरतजहां, उसके प्रेमी जावेद शेख उर्फ प्रनेश, अमजद अली राणा और जीशान जोहर को अहमदाबाद पुलिस ने कथित रूप से फर्जी एनकाउंटर में मार गिराया था। तब पुलिस ने दावा किया था कि यह चारों पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के सक्रिय सदस्य थे।