इलाहाबाद वाली बटरफ्लाई दादी कारनामे सुन रह जायेंगे दंग

बता दें कि 65 साल की यह दिलेर औरत का नाम वीना। वीणा किसी गरीब परिवार से नहीं हैं, लेकिन जिंदगी में आए यू-टर्न की वजह से उन्हें यह पेशा अपनाना पड़ा है। ई-रिक्शा चलाती वीणा के जज्बे को लोग सलाम करते हैं और इन्हें बटरफ्लाई दादी के नाम से पुकारते हैं।इन दिनों इलाहाबाद की सड़कों पर एक बेसहारा महिला ई-रिक्शा चलाती नजर आ रही है। ये महिला उन बेसहारा महिलाओं के लिए मिसाल है जो अपनों से मिले जख्मों के चलते या तो टूट जाती हैं या जिंदगी के आगे हार मान लेती हैं।
इलाहाबाद वाली बटरफ्लाई दादी कारनामे सुन रह जायेंगे दंग
पति और 3 बेटों के बाद बेबस है वीणा
वीणा के पति सीएसआईआर से रिटायर साइंटिस्ट हैं और बच्चे विदेशों में नौकरी करते हैं इसके बावजूद बीना रिक्शा चलाने को मजबूर है। वीणा उप्रेती के पति उमेश चंद्र उप्रेती की पहली पत्नी की मौत साल 1999 में हो गई थी। उमेश के अपनी पहली पत्नी से 3 बच्चे थे और तीनों बच्चे घर में सौतेली मां को लाने के खिलाफ थे। इसके बावजूद उमेश ने बीना से साल 2000 में शादी कर ली। शादी के 1-2 साल तक तो सब ठीक चला, लेकिन उसके बाद परिवार में झगड़े होने शुरू हो गए।
पति-बच्चों ने अकेला छोड़ा
वीणा के पति उमेश के तीनों बच्चे विदेश में जाकर अच्छी नौकरी करने लगे। साल 2006 में जब वीणा के पति उमेश चंद्र रिटायर हुए तो उन्होंने ऑफिस के तरफ से मिला अपना सरकारी आवास भी छोड़ दिया और दिल्ली चले गए।
बहन की भी देखभाल करती हैं वीणा
साल 2006 से वीणा इलाहाबाद के आलोपी नगर में अपने पैत्रक घर में रह रही हैं। बीना के साथ उनकी एक तलाकशुदा बहन भी रहती हैं। जिनकी देख-रेख भी बीना करती हैं।
पति और बच्चों के लिए छोड़ी अपनी नौकरी
बीना बताती है कि उन्होंने 40 साल पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमए और बीएड की पढ़ाई पूरी की थी। बीना ने पति को पूरा समय देने और बच्चों को संभालने के लिए कॉलेज में लगी अपनी नौकरी छोड़ दी। जिंदगी के आखिरी दिनों में जब बीना को अपने जीवनसाथी और बच्चों की जरुरत थी तो दोनों ने बीना को घर से निकालकर सड़क का रास्ता दिखा दिया।
कर्ज लेकर खरीदा ई-रिक्शा
इतनी मुश्किलों के बावजूद वीणा ने हार नहीं मानी। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद मिले पैसों के अलावा कुछ कर्ज लेकर 1 लाख 45 हजार रूपए जुटाए और ई-रिक्शा खरीद लिया। शुरुआत में वीणा ने रिक्शा चलाने के लिए ड्राइवर रखा, लेकिन बार-बार ड्राइवर नौकरी छोड़कर भाग जाते। इस बात से परेशान होकर उन्होंने खुद ही रिक्शा चलाने की ठान ली।
सवारियों की पहली पसंद है बीना का ई-रिक्शा
शहर की सड़कों में सवारी का इंतजार कर रही महिला सवारियों की पहली पसंद बीना का ई-रिक्शा है। जिसमे बैठकर वह बीना के हौसले से भी रूबरू होती हैं। तितली की शक्ल वाला यह ई-रिक्शा आज बीना उप्रेती की पहचान बन गया है इसीलिये आसपास के लोग उन्हें बटरफ्लाई दादी के नाम से बुलाते हैं।

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