यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास मेडिकल ब्रांच में एक्सपेरीमेंटल पैथोलॉजी ग्रेजुएट प्रोग्राम के डायरेक्टर जेरे मैकब्राइड ने भी मॉडर्ना और फाइजर-बायोएंडटेक के वैक्सीन को लेकर बड़ा दावा किया था. उन्होंने कहा था कि भी मॉडर्ना और फाइजर-बायोएंडटेक की वैक्सीन दो से तीन सालों के लिए इम्यूनिटी बढ़ा सकती है. हालांकि, यह अवधि कम या ज्यादा भी हो सकती है और जिन लोगों को ये वैक्सीन दी गई है, उन पर स्टडी के बाद ही स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकता है.
हालांकि, पूरी दुनिया में एक्सपर्ट्स का मानना है कि समय और आगामी शोध के आधार पर ही इसे बारे में निश्चित तौर पर कुछ कहा जा सकता है. ऑरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी की सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ के डायरेक्टर चुन्हुई ची के मुताबिक, कोविड-19 की वैक्सीन लगने के बाद शरीर में निश्चित समय के लिए इम्यूनिटी रहती है. इससे बचने के लिए हमें हर साल भी वैक्सीन लगवाने की जरूरत पड़ सकती है.
कोविशील्ड– ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की एडिनोवायरस वैक्सीन (कोविशील्ड) की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने मैनुफैक्चरिंग की है. ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन की असली मास्टरमाइंड प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट हैं. स्टडी डेटा के आधार पर प्रोफेसर गिलबर्ट ने कहा कि वह लंबे समय तक इम्यूनिटी देखने के लिए काफी उत्सुक हैं. यह कई सालों तक भी रह सकती है और नैचुरल तरीके से इम्यूनिटी डेवलप होने से बेहतर परिणाम दे सकती है.
कोवैक्सीन– भारत बायोटेक द्वारा निर्मित ‘कोवैक्सीन’ वेक्सीनेशन प्रोग्राम में इस्तेमाल होने वाली दूसरी वैक्सीन होगी. अपने हालिया शोध पत्रों के आधार पर कंपनी ने दावा किया है कि कोविड-19 के खिलाफ कोवैक्सीन 6 महीने से लेकर एक साल तक एंटीबॉडी प्रोड्यूस करने में कारगर है.
Sputnik V– रूस द्वारा विकसित स्पुतनिक-V दुनिया की पहली ऐसी वैक्सीन है, जिसका कोविड-19 के खिलाफ इमरजेंसी इस्तेमाल किया गया. रूस में अब तक लाखों को लोगों को ये वैक्सीन दी जा चुकी है. ये वैक्सीन गमालेया इंस्टिट्यूट ने बनाया है. गमालेया इंस्टिट्यूट के प्रमुख एलेक्जेंडर गिन्ट्ज़बर्ग दावा करते हैं कि Sputnik V कोविड-19 के खिलाफ करीब 2 साल तक इम्यूनिटी को बढ़ाए रख सकती है.
जॉनसन एंड जॉनसन– हाल ही में जॉनसन एंड जॉनसन के एक एक्सपेरीमेंट में भी कोविड-19 वैक्सीन के सिंगल शॉट का लंबे समय तक इम्यून पर रिस्पॉन्स देखा गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 29 दिनों के भीतर करीब 90 फीसदी वॉलंटियर्स के शरीर में इम्यून प्रोटीन बनी, जिसे न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी कहा जाता है. जबकि 57 दिनों के अंदर सभी वॉलंटियर्स ने एंटीबॉडी जनरेट की. ट्रायल के पूरे 71 दिनों तक इम्यून पर इसका असर देखा गया है.
एक नई स्टडी के मुताबिक, SARS-CoV-2 से रिकवर हो चुके ज्यादातर लोग रीइनफेक्शन से बचने के लिए प्रतिरक्षा स्मृति को बनाए रखते हैं. वैक्सीन से मिली सुरक्षा लंबे समय तक किसी व्यक्ति को इंफेक्शन से बचा सकती है. ला जोला इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि SARS-CoV-2 के खिलाफ एक वैक्सीन करीब 8 महीनों तक इंसान का बचाव कर सकती है.
कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि खसरे की बीमारी से निजात दिलाने वाली वैक्सीन जीवनकाल में सिर्फ एक बार लेनी पड़ती है. लेकिन कुछ खास वायरस के मामलों में इम्यूनिटी सिर्फ छह महीने तक ही रहती है. कोरोना वायरस के इंफेक्शन में इम्यूनिटी कितने दिन तक रहती है, इस पर साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है. शायद आपको जीवन में एक बार वैक्सीन की जरूरत पड़े या शायद आपको वर्ष में एक बार वैक्सीन लगवानी पड़े.