इमरान पर है वैश्विक मंच पर पाकिस्‍तान की साख सुधारने की सबसे बड़ी चुनौती

इमरान खान ने पाकिस्‍तान के 22वें प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी कमान संभाल ली है। उन्‍होंने यह कमान उस वक्‍त संभाली है जब पाकिस्‍तान आर्थिक तौर पर काफी बदहाल हो चुका है वहीं अंतरराष्‍ट्रीय जगत में भी उसकी साख खराब हुई है। कुल मिलाकर इमरान खान को जो पाकिस्‍तान मिला है उसको संवारने के लिए उन्‍हें काफी मेहनत करनी होगी। इमरान खान से भले ही देश और विदेश के नेताओं को काफी उम्‍मीदें हैं लेकिन इन बातों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि उनके सामने कई चुनौतियां हैं, जिनपर उन्‍हें खरा उतरना होगा।

भारत से संबंध सुधारने की चुनौती पाकिस्‍तान के नए पीएम के लिए सबसे बड़ी है। 2016 में हुए उड़ी हमले के बाद दोनों देशों के संबंधों में जो गहरी दरार बनी उसको आज तक भी भरा नहीं जा सका है। इस तनातनी की वजह से भारत ने पहले 2016 में पाकिस्‍तान में होने वाले सार्क सम्‍मेलन का बहिष्‍कार किया था। भारत के इस कदम के बाद पाकिस्‍तान को यह सम्‍मेलन रद तक करना पड़ गया था। भारत के इस कदम से पाकिस्‍तान की वैश्विक जगत में काफी किरकिरी हुई थी। उड़ी हमले के बाद से दोनों देशों के प्रमुखों की मुलाकात किसी भी वैश्विक मंच पर आधिकारिक तौर पर नहीं हुई है। लिहाजा पाकिस्‍तान के नए प्रधानमंत्री के लिए सबसे पहली और बड़ी चुनौती अपने पड़ोसी से संबंध सुधारने की होगी। हालांकि यह उनके लिए इतना आसान भी नहीं होगा। इसकी वजह वहां की सेना है। जानकारों की मानें तो पाकिस्‍तान की सत्ता पर इमरान को बिठाने वाले सेना ही है। लिहाजा वह सेना के इशारे पर ही काम करेंगे। विदेश मामलों के जानकार कमर आगा को इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि जब तक वह सेना के इशारे पर काम करते रहेंगे तब तक सत्ता में बने रहेंगे, अन्‍यथा हटा दिए जाएंगे।

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