शोध से जुड़े नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के प्रोफेसर क्रिस स्ट्रिगर ने कहा कि इससे वानर से मानव के विकास के बीच की एक और गायब कड़ी जुड़ गई है.उन्होंने कहा कि अवशेषों की वैज्ञानिक जांच के जरिये हम पता लगाएंगे कि कैसे उनके बच्चों ने मां के दूध के अलावा अन्य खाद्य पदार्थों को लेना सीखा, कैसे उनका विकास हुआ, विकास की गति क्या रही और विकास के चरणों में पुरुषों और महिलाओं की स्थिति क्या रही.
होमो सेपियंस की नई प्रजाति खोजने का दावा
वैज्ञानिक आश्चर्यचकित हैं कि आखिर इतने लंबे समय तक हड्डियां कैसे संरक्षित रहीं.विज्ञानिकों ने दक्षिण अफ्रीका की एक गुफा से मिले 15 कंकालों के आधार मनुष्य (होमो सेपियंस) की नई प्रजाति खोजने का दावा किया है. ‘होमो नलेडी’ नाम की इस प्रजाति में आदिम और आधुनिक मानव जाति के मिश्रित लक्षण पाए गए हैं. शोधकर्ताओं का दावा है कि यह खोज हमारे पूर्वजों के बारे में विचारों को बदल कर रख देगी. शोध से जुड़े वैज्ञानिक प्रोफेसर ली बर्गर ने कहा है कि ये आधुनिक मानव की प्रारंभिक प्रजातियों में से (जीनस होमो) एक हो सकते हैं. ये संभवत: तीस लाख वर्ष पहले अफ्रीका में रहते होंगे. जर्नल एलिफि में प्रकाशित शोध के अनुसार, संभवत: होमो नलेडी रीति-रिवाजों के जानकार थे और संकेतों के माध्यम से विचारों के आदान-प्रदान में सक्षम थे.
वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के मुताबिक़ इथियोपिया के अफ़ार क्षेत्र में प्राचीन इंसान की एक नई प्रजाति का पता चला है.खोजकर्ताओं को 33 से 35 लाख वर्ष पुरानी जबड़े की हड्डियां और दांत मिले हैं.इसका मतलब है कि यह नया होमोनिन उस वक़्त का है जब दूसरी प्राचीन इंसानी प्रजातियां जिंदा थीं.होमिनिन मानव की तरह ही खड़े होकर चलने वाली जाति थी.इससे यह भी पता चलता है कि इंसान की फैमिली ट्री हमारी सोच से कहीं ज्यादा जटिल है.
यह अध्ययन नेचर जर्नल में छपा है.इस नई प्रजाति का नाम ऑस्ट्रेलोपिथिकस डेयीरेमेडा है जिसका मतलब अफ़ार के लोगों की भाषा में ‘नज़दीकी संबंधी’ है.जो प्राचीन अवशेष पाए गए हैं वे इस प्रजाति के चार सदस्यों के हैं.इनमें बंदर और मानव जैसी विशेषताएं रही होंगी.
निकटवर्ती पूर्वज
इन अवशेषों की जो उम्र है उससे लगता है कि ये शुरुआती इंसानों की उन चार प्रजातियों के समकालिन थे जो एक ही काल के थे.इनमें सबसे प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलोपिथिकस अफ़ारेंसिस है. इसे लूसी के नाम से भी जाना जाता है.पहले लूसी को इंसानों का सबसे निकटवर्ती पूर्वज माना जाता था. इसका जीवन काल 29 लाख से 38 लाख वर्ष के बीच था.लेकिन केन्या में 2001 में केन्यानथ्रॉपस प्लैटीऑप्स, चाड में ऑस्ट्रेलोपिथिकस बहरेलग़ैजैली और अब ऑस्ट्रेलोपिथिकस डेयीरेमेडा की खोज से पता चलता है कि कई प्रजातियां एक साथ अस्तित्व में थीं.