इंदिरा गांधी की पैरवी पर खदान में नौकरी के लिए आए थे अमिताभ बच्चन, इन्होंने सिखाया काम

शायद यह बात काफी कम लोगों को पता होगी कि भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन ने फिल्मी करियर शुरू करने से पहले कभी रोजगार के लिए कोयला खदान में भी अपना भाग्य आजमाया था। ‘गूगल गुरु’ से पूछें तो वह आपको बस इतना बताएगा कि उन्होंने कोलकाता में दो शिपिंग फमरें शॉ वालेस व मेसर्स बर्ड एंड कंपनी में काम किया था। मगर यह तो बाद की बात है। उनके शुरुआती करियर के संबंध में अभी तक का अनछुआ तथ्य यह है कि बेरोजगार अमिताभ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पैरवी पर नामी निजी कोल कंपनी मेसर्स बर्ड एंड कंपनी के अधीन झारखंड (तत्कालीन बिहार) के रामगढ़ जिला स्थित सिरका कोलियरी में सात-आठ महीने काम किया था। सीएस झा नामक जिस कोलियरी मैनेजर ने उन्हें काम सिखाया था और रहने-खाने की व्यवस्था की थी, वह अभी रांची में रहते हैं। उम्र के 95 बसंत देख चुके वयोवृद्ध सीएस झा ने दैनिक जागरण से बातचीत में अमिताभ बच्चन के उस दौर के जीवन के बारे में कई दिलचस्प बातों की पहली बार जानकारी दी है।

झा से बातचीत से पहले हम आपको ले चलते हैं खदान में अमिताभ के इस शुरुआती करियर के संबंध में अध्ययन करने वाले धनबाद के बुजुर्ग साहित्यकार-पत्रकार बनखंडी मिश्र (75) के पास। वह इसकी पृष्ठभूमि के बारे में बताते हैं कि अमिताभ के पिता ख्यातिप्राप्त कवि हरिवंश राय बच्चन के जीवन का अधिकांश भाग इलाहाबाद में बीता था। वह प्रयाग विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापक थे। अमिताभ दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएट होकर इलाहाबाद अपने जन्मस्थान लौटे थे। पढ़ने में उनकी दिलचस्पी कम थी। इसलिए पिता ने आगे पढ़ाने के बजाय युवा बेटे को कहीं काम दिलाने की सोची। इसके लिए उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से आग्रह किया था और इंदिरा गांधी की पैरवी पर युवा अमिताभ मेसर्स बर्ड एंड कंपनी के कोलकाता स्थित मुख्यालय पहुंच गए। कोलकाता में अमिताभ की भेंट कंपनी के प्रभारी फ‌र्स्ट क्लास मैनेजर एलएस घाटे से हुई। इतनी ऊंची पैरवी लेकर पहुंचे एक साधारण लंबी कद-काठी वाले युवक को देख घाटे भौंचक रह गए। उन्होंने अपनी ही कंपनी की रामगढ़ स्थित सिरका कोलियरी के मैनेजर सीएस झा के नाम पत्र लिख कर अमिताभ को वहां भेज दिया। झा धनबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ माइंस (अभी आइआइटी का दर्जा) से बीटेक थे। अमिताभ बच्चन उनके पास करीब सात-आठ महीने रहे थे। बच्चन जब रुपहले पर्दे पर नाम कमाने लगे तो झा ने ये सारी बातें आज से बहुत पहले बनखंडी मिश्र को बताई थीं।

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