इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगा दी है. पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव को कथित जासूसी के आरोप में सजा-ए- माैैत सुनाई थी. इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को एक पत्र भी भेजा है.
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) ने भारत की ओर से यह कहे जाने के बाद कि नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद व्यवसाय कर रहे जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था, उन्हें मिली फांसी की सजा की तामील पर स्थगन लगा दिया है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया है कि वह पहले ही जाधव की मां से बात कर चुकी है और उन्हें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश के बारे में सूचित किया है.
पाकिस्तान दावा करता है कि जाधव को पिछले साल 3 मार्च को निर्विवाद बलूचिस्तान प्रांत से गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान के फिल्ड जनरल कोर्ट मार्शल द्वारा पिछले महीने जाधव को मौत की सजा सुनाई गई थी. इसे लेकर भारत ने बहुत तीखी प्रतिक्रिया दी और ‘सोच समझ कर की जाने वाली हत्या’ को अंजाम दिए जाने की स्थिति में द्विपक्षीय संबंधों में खटास और परिणाम भुगतने की चेतावनी पाकिस्तान को दी थी.
पाक ने जाधव पर आरोप लगाया था कि वह इंटेल एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग या रॉ के लिए एक जासूस के तौर पर काम कर रहे थे. पाकिस्तान ने दावा किया कि वह “भारतीय नौसेना में एक सेवारत अधिकारी” थे. भारत यह स्वीकार करता है कि जाधव ने नौसेना में सेवा दी है, लेकिन इसे इनकार करता है कि अब उसका सरकार से कोई लेना-देना है. भारत ने इस दावे को खारिज किया है और कहा है कि एक सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी जाधव का ईरान से अपहरण कर लिया गया था, जहां वह एक व्यवसाय चला रहे थे.