हिंदू शास्त्र में हर एक दिन एक भगवान को समर्पित माना जाता है. गुरुवार का दिन बृहस्पति देव को समर्पित माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार के दिन विधि-विधान से बृहस्पति देव की पूजा करने से सभी कष्ट मिट जाते हैं. जिन लड़कियों की शादी में समस्या आती है उन्हें भी बृहस्पति देव की पूजा करने और व्रत रखने का सुझाव दिया जाता है.

बृहस्पति देव के पूजन की विधि
बृहस्पति देव के पूजन के लिए सर्वप्रथम पूजा की थाली में पीले फूल, गुड़, चने की दाल, केले रखें. अगर, घर के आसपास कोई केले का पेड़ है तो प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके केले के पेड़ के सामने भगवान बृहस्पति देव की कथा पढ़ें और गुड़, चने की दाल के प्रसाद को सभी में बांटे. केले का पेड़ न होने पर आप घर में भगवान बृहस्पति देव का ध्यान करके पूजा कर सकते हुए कथा पढ़ सकते हैं. कथा पढ़ने के बाद आरती को पढ़ें और प्रसाद सभी में बांटें.
ॐ अस्य बृहस्पति नम: (शिरसि)
ॐ अनुष्टुप छन्दसे नम: (मुखे)
ॐ सुराचार्यो देवतायै नम: (हृदि)ॐ बृं बीजाय नम: (गुहये)
ॐ शक्तये नम: (पादयो:)
ॐ विनियोगाय नम: (सर्वांगे)
करन्यास मंत्र
ॐ ब्रीं- तर्जनीभ्यां नम:.
ॐ ब्रूं- मध्यमाभ्यां नम:.
ॐ ब्रैं- अनामिकाभ्यां नम:.
ॐ ब्रौं- कनिष्ठिकाभ्यां नम:.
ॐ ब्र:- करतल कर पृष्ठाभ्यां नम:.
करन्यास के बाद मन से करें भगवान का आभार
ॐ ब्रां- हृदयाय नम:.
ॐ ब्रीं- शिरसे स्वाहा.
ॐ ब्रूं- शिखायैवषट्.
ॐ ब्रैं कवचाय् हुम.
ॐ ब्रौं- नेत्रत्रयाय वौषट्.
पीले वस्त्र करें धारण
गुरुवार के दिन पीले वस्त्र को धारण करना शुभ माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार के दिन पीले वस्त्र धारण करने से बृहस्पतिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनकामनाओं को पूर्ण करते हैं. भूलकर भी गुरुवार के दिन लाल या काले रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए.
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal