एक तरफ पुलिस किरायेदारों के सत्यापन कराने के लिए अपील करती है, वहीं दूसरी ओर खुद पुलिस इसके नियमों से अनजान है। एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) के जवाब में फरीदाबाद पुलिस ने किरायेदार सत्यापन के नियमों की मालूम नहीं होने की बात कही है।

आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बहल ने बताया कि उन्होंने नौ अगस्त 2022 पुलिस आयुक्त फरीदाबाद कार्यालय को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के अंतर्गत एक आवेदन भेजा था। इसमें उन कानून तथा नियम के बारे पूछा गया था जिसके आधार पर पुलिस मकान मालिक से सुविधा शुल्क लेकर अथवा किरायेदार का सत्यापन करती है। साथ ही जांच न करवाने वाले मालिक मकान पर किस नियमों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाती है।
उन्होंने बताया कि पहली बार में पुलिस ने कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन दूसरी बार में पुलिस ने बताया कि पूछे गए सवालों संबंधित उनके पास कोई जानकारी नहीं है।
आरटीआई एक्टिविस्ट ने लगाया आरोप : आरटीआई एक्टिविस्ट अजय बहल ने बताया कि फरीदाबाद में पुलिस प्रशासन सोशल मीडिया और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सभी मकान मालिकों अपने किरायेदारों के सत्यापन कराने की अपील करती है। पुलिस इस एवज में सत्यापन संबंधित प्रति आवेदन पर 500 रुपये का शुल्क वसूलती है, लेकिन पुलिस को यह नहीं पता है कि वह किन नियमों और कानून के तहत किरायेदारों का सत्यापन कर रही है।
पुलिस को 27.50 लाख का मिला राजस्व : आरटीआई एक्टिविस्ट के अनुसार, पुलिस को बीते दो सालों में किरायेदारों के आवेदन से करीब 27.50 लाख रुपये का राजस्व मिला है। पुलिस प्रति आवेदन सुविधा शुल्क के नाम पर 500 रुपये लेती है।
अजय बहल के अनुसार, पुलिस ने अपने जवाब में बताया है कि दो सालों में विभिन्न थानों में सत्यापन के लिए 5140 आवेदन प्राप्त हुए।
आरटीआई के माध्यम से आठ सवाल पूछे गए थे
अजय बहल ने बताया कि उन्होंने आरटीआई के माध्यम से करीब आठ सवाल पूछे थे। पूछा गया था कि मकान मालिक द्वारा किरायेदारों की जांच किस कानून में अनिवार्य है तथा ऐसा न करने वालों के विरुद्ध किस कानून के तहत क्या कार्रवाई की जाती है। पिछले एक वर्ष में पुलिस द्वारा कितने मकान मालिकों के खिलाफ पर्चा दायर किया गया अथवा अन्य कानूनी कार्रवाई की गई आदि। इस बाबत पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा को उनके मोबाइल पर कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रीसिव नहीं की।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal