सेनारत्ने ने कहा कि इस समूह को मिलने वाले बाहरी समूह की भी जांच होगी। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि देश का एक छोटा सा संगठन ऐसा कर सकता है। हम उनके और उनके अन्य लिंक के अतंरराष्ट्रीय सहयोग की जांच कर रहे हैं कि कैसे उन्होंने बम और आत्मघाती हमलावर तैयार किए।’
फिलहाल किसी आतंकी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। लेकिन पुलिस द्वारा देशभर में 11 अप्रैल को भेजे गए अलर्ट में कहा गया था कि एनटीजे गिरिजाघरों और भारतीय उच्चायोग को निशाना बनाने की तैयारी कर रहा है। सेनारत्ने ने कहा कि श्रीलंका को सुनियोजित हमलों के बारे में विदेशी जांच एजेंसियों से चार अप्रैल को सूचना मिली थी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना के बीच मतभेद और संचार की कमी की कारण प्रधानमंत्री को खुफिया जानकारी के बारे में नहीं बताया गया। उन्होंने इसपर आंखें बंद कर ली। सेनारत्ने ने स्वीकार किया कि यह हमले श्रीलंका सरकार की विफलता हैं लेकिन इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति को जिम्मेदार ठहराया।
राष्ट्रपति सचिवालय में सलाहकार और समन्वय सचिव श्रीलाल लक्षतिलक ने बताया कि एजेंसियां हमलों के पीछे की वजह जानने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘यदि आप अतीत को देखें तो ज्यादातर दक्षिणी एशियाई चरमपंथी समूहों जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआईएस भी शामिल है, उन्होंने कभी श्रीलंका पर हमला नहीं किया।’उन्होंने कहा, ‘भारतीय एजेंसियों को 2008 में हुए मुंबई हमलों और उसके समान आतंकी हमलों के बारे में पहले से पता था। श्रीलंका को सुरक्षित माना जाता था।