नई दिल्ली: बाबरी विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चलते 16 साल बाद लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कैबिनेट मंत्री उमा भारती समेत 14 लोगों के खिलाफ फिर केस चलेगा। बुधवार को आए इस फैसले के बाद पीएम मोदी ने पार्टी की बैठक बुलाई। 2 घंटे तक चली इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली,गृह मंत्री राजनाथ सिंह, सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू के अलावा अन्य कई मंत्री शामिल हुए।
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हालांकि बैठक में क्या तय हुआ है यह फिलहाल सामने नहीं आया है लेकिन कहा जा रहा है कि पार्टी ने अपने नेताओं को समर्थन दिया है। फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने पद से इस्तीफे की मांग ठुकरा दी है। बता दें कि सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं को आरोपमुक्त करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश रद कर दिया। कोर्ट ने नेताओं के खिलाफ रायबरेली की अदालत में चल रहा मुकदमा लखनऊ की अदालत में स्थानांतरित कर दिया है। सत्र अदालत को मुकदमे की रोजाना सुनवाई कर दो साल में फैसला सुनाने को कहा गया है।
यह फैसला न्यायमूर्ति पीसी घोष और आरएफ नरीमन की पीठ ने सीबीआई की याचिका पर सुनाया है। जांच एजेंसी ने ढांचा ढहने के मामले में तकनीकी आधार पर आरोपमुक्त हुए नेताओं पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाने की मांग की थी।
सीबीआई ने हाई कोर्ट के 20 मई, 2010 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें 21 नेताओं को आरोपमुक्त कर दिया गया था। इनमें से आडवाणी और जोशी सहित आठ नेताओं पर रायबरेली की अदालत में मुकदमा चल रहा है। लेकिन, उसमें साजिश के आरोप नहीं हैं। आठ में से दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
बाकी के 13 लोग पूरी तरह छूट गए थे। इन 13 में चार की मृत्यु हो चुकी है। बचे लोगों में कल्याण सिंह प्रमुख हैं, जो ढांचा ढहने के समय प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और इस समय राजस्थान के राज्यपाल हैं। लखनऊ की विशेष अदालत में एफआईआर नंबर 197-1992 (कारसेवकों का मुकदमा) चल रहा है जिसमें आपराधिक साजिश के आरोप हैं।
बाबरी विध्वंस केस: पढ़िए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 5 बड़ी बातें
फैसले की खास बातें
-नेताओं और कारसेवकों के खिलाफ लंबित मामलों की लखनऊ में संयुक्त सुनवाई होगी।
-लखनऊ का सेशन कोर्ट आडवाणी, जोशी और अन्य पर आपराधिक साजिश के अतिरिक्त आरोप तय करेगा।
-सत्र अदालत को कार्यवाही बुधवार से चार सप्ताह के भीतर शुरू करने को कहा गया है।
-नए सिरे से ट्रायल नहीं होगा। यानी मुकदमे की सुनवाई जिस स्तर पर चल रही है, उसी से आगे चलेगी।
-मुकदमे का ट्रायल पूरा होने तक इस मामले की सुनवाई कर रहे जज का तबादला नहीं किया जाएगा।
-कोर्ट सुनवाई में तब तक कोई स्थगन नहीं देगा, जब तक जज को यह न लगे कि सुनवाई करना असंभव हो गया है।
-सीबीआइ सुनिश्चित करेगी कि सुनवाई के दौरान गवाह जरूर पेश रहे, ताकि सुनवाई इस कारण न टले।
-सत्र अदालत को मुकदमे की रोजाना सुनवाई कर दो साल में फैसला सुनाने को कहा गया है।
कल्याण सिंह पर अभी नहीं चलेगा मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि संविधान में राज्यपाल को मुकदमे से मिली छूट का लाभ कल्याण सिंह को भी मिलेगा। जब तक वे राज्यपाल के पद पर हैं, उन पर न तो आरोप तय होंगे और न ही मुकदमा चलेगा। कल्याण सिंह इस समय राजस्थान के राज्यपाल हैं। लेकिन, कोर्ट ने यह भी कहा है कि उनके पद से हटने के बाद उन पर आरोप निर्धारित होंगे और मुकदमा चलेगा।
25 वर्षों से हम आडवाणी और जोशी के मौलिक अधिकारों की दुहाई की बात सुन रहे हैं। आसमान गिरे तो गिरे, न्याय होना चाहिए। 25 साल पहले हुए अपराध ने संविधान के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को हिलाकर रख दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट को जो फैसला बहुत पहले करना चाहिए था वह अब हो रहा है। -सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कोई प्रतिक्रिया देने से पहले भाजपा उसका गहराई से अध्ययन करेगी। पार्टी आडवाणी, जोशी और उमा भारती का बहुत सम्मान करती है। -रवि शंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री
सुप्रीम कोर्ट ने बोला है। न्याय होना चाहिए, दोषी दंडित हों। प्रधानमंत्री यह सुनिश्चित करें कि उनके मंत्री “उच्च नैतिकता” बनाए रखें। कानून सबके लिए बराबर है। -रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस प्रवक्ता
सीबीआई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “कंट्रोल” में है। उन्होंने इसका इस्तेमाल कर आडवाणी को राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर कर दिया है। यह सोची-समझी राजनीति है। -लालू प्रसाद, राजद अध्यक्ष