आज से पहले ऐसा नहीं हुआ था। हां, इसके लिए अरसों से वैज्ञानिक कोशिश जरूर कर रहे थे लेकिन बार-बार विफलता ही मिली। अब जाकर इन्हें कामयाबी मिली है। इसे किसी चमत्कार से कम नहीं आंका जा सकता। जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं उस बारे में जानकर आपको भी ताज्जुब होगा। तो चलिए बताते हैं वैज्ञानिक चमत्कार की अनोखी दास्तां…
दरअसल वैज्ञानिकों ने नई नैनोपार्टिकल वैक्सिन विकसित की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह दुनिया भर में पोलियो को खत्म करने के में मददगार साबित हो सकती है। यह दवा एक टीके के रूप में दी जाएगी। बता दें इस टीके के एक इंजेक्शन में कई खुराक होती है। यह पाकिस्तान और अन्य देशों के दूरस्थ क्षेत्रों में जहां यह अभी भी पनपता है, वहां यह सबसे उपयोगी हो सकता है।
इसे एमआईटी के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। अमेरिका के रोग नियंत्रण केंद्रों के मुताबिक, 1988 से 2013 के बीच दुनिया भर में पोलियो के 99 मामलों में गिरावट आई है, लेकिन बीमारियों को दूर करने के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में बच्चों तक पहुंचने में कठिनाई के कारण बीमारी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
उनमें प्रतिरक्षा का निर्माण करने के लिए दो से चार पोलियो टीका इंजेक्शन की आवश्यकता है। अमेरिका में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के एक शोध वैज्ञानिक अना जैकलेने ने कहा, ‘यह छोटी वैक्सीन पोलियो के टीके की तरह काम कर उसे जड़ से खत्म करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि हम इसके नतीजों से बहुत उत्साहित हैं, मुझे उम्मीद है कि एक दिन यह टीका पूरी दुनिया में पोलियो को खत्म करने में अग्रसर होगा। इसके साथ ही शोधकर्ता इबोला और एचआईवी जैसे अन्य वायरस के लिए स्थिर, सिंगल इंजेक्शन टीका बनाने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं। बता दें कि पहला पोलियो टीका 1950 में विकसित हुआ था, जिसे साल्क भी कहा जाता है।