हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की प्रत्येक त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल होता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है. शास्त्रों के अनुसार मंगलवार को होने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहते हैं. मंगलवार का दिन हनुमान जी समर्पित होता है. चूंकि हनुमान जी भी भगवान शिव के ही रुदावतार है. इस लिए मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव के साथ –साथ भगवान हनुमान जी भी भक्तों पर प्रसन्न होते हैं. भौम प्रदोष व्रत में भगवान शिव की विधि पूर्वक और सच्चे मन से पूजा करने पर मंगल ग्रह के दोष से भी मुक्ति मिलती है. भगवान शिव और हनुमान जी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं.

प्रदोष काल की तिथि और शुभ मुहूर्त:
पंचांग के मुताबिक़ साल 2021 में भौम प्रदोष व्रत आज ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को यानी 22 जून को है. त्रयोदशी तिथि 22 जून को प्रातः 10 बजकर 22 मिनट से प्रारंभ होगी और 23 जून को प्रातः 6 बजकर 59 मिनट तक रहेगी. जबकि भौम प्रदोष काल 22 जून को शाम 07 बजकर 22 मिनट से रात्रि 09 बजकर 23 मिनट तक रहेगा.
इस लिए प्रदोष व्रत की पूजा इसी समय में की जानी है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा पूर्वक और भक्तिभाव से भगवान शिव की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा रोग-दोष से मुक्ति मिलती है.
भौम प्रदोष व्रत पूजा विधि
भक्त को प्रातः काल जल्दी उठकर नित्यकर्म से निवृत हो जाना चाहिए. पूजा स्थल पर जाकर भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें. उसके बाद रेशमी कपड़ों से भगवान शिव के लिए निर्मित मण्डप में शिवलिंग की स्थापना करें. अब आटा और हल्दी से स्वास्तिक बनाएं. भगवान शिव को प्रिय बेलपत्र, भांग, धतूरा, मदार पुष्प, पंचगव्य अर्पित करें. भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें तथा संकल्प लेकर फलाहार व्रत रखें. इस प्रकार की पूजा प्रदोष काल में भी करें. व्रत का पारण अगले दिन चतुर्दशी को स्नान – दान के साथ करें.
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