हर माता-पिता अपने बच्चे को सफल और कामयाब इंसान बनाना चाहते हैं। इसके लिए बच्चे की अच्छी परवरिश देते हैं। उच्च शिक्षा दिलाने में कोई कंजूसी नहीं करते हैं। इस वजह से बच्चे सफल हो पाते हैं। हालांकि, कई बच्चे लाड प्यार में बिगड़ भी जाते हैं। साथ ही जिद्दी भी हो जाते हैं। एक बार बच्चे की राह भटकने के बाद उन्हें सही मार्ग पर लाने में माता-पिता को बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। इसके लिए जरूरी है कि बच्चे पर विशेष ध्यान दें। उन्हें सही गलत की पूरी जानकारी दें। वहीं, सफल इंसान बनाने के लिए आचार्य चाणक्य की इन बातों का जरूर अनुपालन यानी फॉलो करें। आइए जानते हैं
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-आचार्य चाणक्य की मानें तो संस्कारी बच्चे ही सफल और कामयाब इंसान बनते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे को सफल और कामयाब इंसान बनाना चाहते हैं, तो उन्हें संस्कारी बनाएं। इसके लिए बाल्यावस्था से ही बच्चे में संस्कार दें।
-बच्चे मन के सच्चे लेकिन दिमाग से शरारती होते हैं। उन्हें सही-गलत का अधिक पता नहीं होता है। इसके लिए हर समय शरारत करते हैं। कई बार उन्हें शरारत करने के लिए सजा भी मिलती है। इस बारे में आचार्य चाणक्य का कहना है कि पांच वर्ष तक बच्चे को कठोर सजा नहीं देनी चाहिए। लगातार सजा मिलने से बच्चे शरारत करने को आदी हो जाते हैं। इसके लिए पांच वर्ष तक महज प्यार से उन्हें सही-गलत बताएं। उसके बाद सख्ती बरतें।
-आचार्य का कहना है कि बच्चे की शिक्षा में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। आप अपने सामर्थ्य के अनुसार बच्चे को शिक्षा दें। अच्छी शिक्षा ही बच्चे को होनहार बनाता है। इससे बच्चे का बौद्धिक विकास भी होता है। इसके अलावा, बच्चे की रुचि भी जागृत होती है।
-बच्चे हमेशा शरारती और जिद्दी होते हैं। उनकी जिद को पूरी करते समय उन्हें सही गलत जरूर बताएं। आसान शब्दों में कहें तो काउंसलिंगजरूर करें। इससे बच्चे के मन में भी आपके प्रति स्नेह बढ़ेगा।
-बच्चे को होनहार और कामयाब बनाने के लिए माता-पिता का भी संस्कारी होना जरूरी है। इसके लिए बच्चे के सामने कभी झूठ न बोलें और न ही गलत शब्दों का प्रयोग करें।