मिट्टी खाने की यह समस्या न सिर्फ बच्चों में बल्कि वयस्कों में भी देखी जाती है। हालांकि यह समस्या एक से सात साल के आसपास के बच्चों में ज्यादा होती है। दरअसल, बच्चों में कुछ विशेष प्रकार के पौष्टिक तत्वों, जैसे-आयरन, जिंक आदि की कमी के कारण ही मिट्टी जैसी अजीबोगरीब चीजें खाने की इच्छा पैदा होती है।
छोटे बच्चों में मिट्टी खाना खून की कमी की निशानी है। इसका कारण बच्चों की खुराक में सिर्फ दूध का भी होना हो सकता है। हर चीज में दूध का मिश्रण होने से बच्चे में खून की कमी हो जाती है। बच्चों की खुराक में अनाज, दाल, सब्जियों की कमी होने से भी यह दिक्कत आती है।
दरअसल, बच्चों के मिट्टी खाने के पीछे की वजह पीका ईटिंग नामक एक विकार होता है। इसे यह नाम एक पक्षी के नाम से मिला है जो कुछ भी खाने के लिए मशहूर है। कुपोषण को बच्चो में पीका एक वजह माना जा सकता है।
कुछ बच्चों में मिट्टी खाने की आदत ऑटिज्म नामक बीमारी की वजह से भी हो जाती है। इस बीमारी में बच्चे का मानसिक विकास ठीक से नहीं हुआ रहता है। हालांकि कभी-कभार बच्चे ऐसा सिर्फ जिज्ञासा की वजह से भी करते हैं। आसपास के वातावरण को समझने के लिए वे हर चीज को मुंह में डालकर परखने की कोशिश करते हैं, लेकिन बढ़ते उम्र के साथ-साथ उनकी यह आदत छूटती चली जाती है।