आइए जानते हैं, क्यों खुले रहते हैं भगवान महाकाल मंदिर के कपाट..

हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 मई यानी आज वैशाख पूर्णिमा पर्व मनाया जा रहा है। साथ ही आज चंद्रग्रहण भी रहेगा। लेकिन यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। चंद्र ग्रहण रात 08 बजकर 45 मिनट से रात्रि 01 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। उपछाया चंद्रग्रहण होने के कारण भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा। भारत में यह चंद्रग्रहण दिखाई नहीं देगा, बल्कि इसका असर यूरोप, एशिया, अंटार्टिका, अफ्रीका और हिंद महासागर पर रहेगा।

बता दें कि ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। लेकिन उज्जैन में स्थित भगवान महाकाल के मंदिर के कपाट बंद नहीं किए जाते हैं। यह प्राचीन परंपरा सदियों से चली आ रही है और इसका संबंध धार्मिक कथाओं में भी मिलता है। आइए जानते हैं, क्यों खुले रहते हैं भगवान महाकाल मंदिर के कपाट।

ग्राहन के दौरान क्यों खुले रहते हैं भगवान महाकाल मंदिर के कपाट

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उज्जैन के महाकाल मंदिर में ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ और प्रवेश की अनुमति दी जाती है। ग्रहण के समय मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त महाकाल के दर्शन के लिए जमा होते हैं। महाकाल ज्योतिर्लिंग भारत के प्रमुख 8 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। मान्यता है कि यहां पूजा-पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट और दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

भगवान महाकाल सृष्टि के अधिपति हैं और उन्हीं के आशीर्वाद से संसार की रचना हुई थी। उनकी पूजा पर ग्रह एवं नक्षत्रों का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन ग्रहण के दौरान मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों का प्रवेश वर्जित है। साथ ही ग्रहण की समाप्ति के बाद पूरे मंदिर को शुद्ध किया जाता है। वहीं भगवान की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है।

ग्रहण के बाद जरूर करें यह कार्य

ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को बहुत ही अशुभ माना जाता है। जिस वजह से इसका प्रभाव सभी पर पड़ता है और इस दौरान सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इसलिए ग्रहण के बाद पूजा स्थल को साफ करें और इस दौरान भगवान की मूर्ति का स्पर्श भूलकर भी ना करें। ऐसा करने से व्यक्ति को धन हानि व स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां का परिणाम भुगतना पड़ सकता है।

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