हिंदू धर्म में 10 महाविद्याओं का वर्णन किया गया है। उनमें से एक मां धूमावती है। बता दें कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन धूमावती जयंती मनाई जाती है। आइए जानते हैं कब है धूमावती जयंती?

हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मां धूमावती की जयंती मनाई जाती है। मां धूमावती 10 महाविद्वाओं में से एक हैं और मान्यताओं के अनुसार, मां धूमावती धुएं से प्रकट हुई थीं। धार्मिक मान्यता है कि मां धूमावती के समान अन्य कोई शक्ति नहीं है, इसलिए धूमवती जयंती के उनकी पूजा करने से साधकों को विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं मां धूमावती का स्वरूप, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
कैसा है मां धूमावती स्वरूप?
मां धूमावती सफेद कपड़े धारण करती हैं और उनके बाल खुले रहते हैं। मान्यता है कि उन्हें विधवा रूप में पूजा जाता है। वैसे तो मां धूमावती के जन्म से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, किंतु एक कथा के अनुसार, जब माता सती ने यज्ञ में खुद को भस्म किया था, तब यज्ञ से निकल रहे धुएं से मां धूमावती प्रकट हुई थीं।
धूमावती जयंती शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 27 मई सुबह 07 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और इसका अंत 28 मई सुबह 09 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में धूमावती जयंती 28 मई 2023, शनिवार के दिन मनाई जाएगी।
धूमावती जयंती के दिन किस तरह करें पूजा?
धूमावती जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें। इसके बाद पूजा स्थल पर मां धूमावती की तस्वीर स्थापित कर धूप, दीप, फल, फूल इत्यादि अर्पित करें। मां धूमावती की पूजा में भोग का विशेष महत्व है, इसलिए भोग अवश्य लगाएं। बता दें कि माता की पूजा में को मीठे भोग का उपयोग नहीं, बल्कि नमकीन चढ़ाया जाता है। इसलिए इस दिन कई लोग कचौड़ी या पकौड़े का भोग भी लगाते हैं। लेकिन माता धूमावती को रोटी बहुत प्रिय है। इसलिए इस दिन माता सूखी रोटी पर नमक लगाकर भी अगर भोग लगाया जाता है तो मां प्रसन्न हो जाती है। इसके बाद धूमावती स्तोत्र का पाठ करें और अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें।
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