आइए जानतें है भारत के ऐसे ही 6 ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण शहरों के बारे में..

भारतीय सभ्यता सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। भारत के पौराणिक इतिहास पर नजर डाली जाए तो पता चलेगा कि भारत विज्ञान से लेकर आध्यात्मिक हर क्षेत्र में समृद्ध था।  भारत में ऋषि-मुनियों की धरती रहा है। भारत में ऐसे कई राज्य हैं जिनका एक आध्यात्मिक और गौरवशाली इतिहास है। आज हम आपको ऐसे ही कुछ शहरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका इतिहास जानकर आपको गर्व का अनुभव होगा।

वाराणसी का क्यों पड़ा ये नाम

उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर 5000 वर्षों से भी अधिक समय से अस्तित्व में बना हुआ है। वरुणा और असी नदी के मध्य स्थित होने के कारण यह नगर वाराणसी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक एवं शैक्षिक दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण स्थल रहा है।

भगवान राम की नगरी अयोध्या

भगवान राम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था। अयोध्या, हिंदुओं के 7 पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यह नगर पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है। रामायण के अनुसार, अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी।

कहां हुआ था सृष्टि का पहला यज्ञ

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। तीर्थराज कहलाने वाला यह नगर गंगा-यमुना के संगम पर बसा है। इसे इलाहबाद के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सबसे पहला यज्ञ इसी धरती पर सम्पन्न किया था।

क्यों पड़ा इंद्रप्रस्थ का यह नाम

ईसा पूर्व के 1000 साल पहले पांडवों ने भगवान कृष्ण की सहायता से इंद्रप्रस्थ शहर को यमुना नदी के किनारे बसाया था। इंद्रप्रस्थ दिल्ली का ऐतिहासिक नाम भी है। जिसका अर्थ होता है इंद्र का शहर।

कुंभ की नगरी उज्जैन

उज्जैन को मध्यकालीन भारत के प्राथमिक शहरों में गिना जाता है। यह महान सम्राट विक्रमादित्य के राज्य की राजधानी थी। इसे कालिदास की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्येक 12 साल के बाद महाकुंभ लगता है। जिसका हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। माना जाता है कि कुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इसलिए देश के कोने-कोने से करोड़ों लोग स्नान करने कुंभ के मेले में पहुंचते हैं।

ज्ञान की नगरी नालंदा

बिहार में स्थित नालंदा में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय भारत के शुरूआती विश्वविद्यालय में से एक था। जहां दुनियाभर से लोग शिक्षा ग्रहण करने आते थे। इसकी स्थापना कुमारगुप्त ने की थी। प्राचीन समय में यह बौद्ध धर्म एवं शिक्षा का महान केंद्र था। यहाँ 10000 छात्रों के अध्ययन की व्यवस्था मौजूद थी।

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