
योगी आदित्यनाथ सरकार के दूसरे कार्यकाल में प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को लगातार सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। शायद यही वजह है कि अस्पतालों में प्रसव कराने वाली महिलाओं की संख्या में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
यूपी में सुरक्षित ढंग से प्रसव कराने को लेकर महिलाएं काफी सतर्क हुई हैं। अस्पतालों में प्रसव कराने वाली महिलाओं की संख्या 16 प्रतिशत बढ़ी है। वर्ष 2019-21 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-पांच के आंकड़ों में संस्थागत प्रसव यानी अस्पतालों में सुरक्षित ढंग से डिलेवरी कराने अब 83.4 प्रतिशत महिलाएं पहुंच रही हैं।
वर्ष 2015-16 के एनएफएचएस-चार के आंकड़ों के अनुसार तब 67.8 प्रतिशत महिलाएं ही अस्पतालों में डिलेवरी के लिए पहुंच रहीं थी। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक कि पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पांच हजार रुपये तीन किश्तों में दिए जा रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों में गर्भवती को जांच से लेकर उपचार तक की निश्शुल्क सुविधा व भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं 102 एंबुलेंस सेवा के माध्यम से गर्भवती को घर से अस्पताल पहुंचाने और प्रसव के बाद जज्जा-बच्चा को अस्पताल से घर पहुंचाने की मुफ्त सुविधा दी जा रही है। 102 एंबुलेंस सेवा की 2,270 एंबुलेंस चलाई जा रही हैं।
प्रसव के पूर्व अस्पतालों में जांच कराने के लिए पहुंचने वाली गर्भवती की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। एनएफएचएस-पांच के आंकड़ों में यह 62.5 प्रतिशत है जबकि एनएफएचएस-चार में यह 45.9 प्रतिशत था। यानी अस्पतालों में प्रसव पूर्व जांच कराने वाली महिलाओं की संख्या 17 प्रतिशत बढ़ी है।
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