गुवाहाटी: केंद्र की मोदी सरकार ने इसी साल 6 अगस्त को पूर्व पीएम राजीव गॉंधी के नाम पर रहे खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर कर दिया था। अब असम की हिमंत सरमा सरकार ने भी ऐसा ही एक फैसला लिया है। हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने सूबे के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों में से एक से राजीव गाँधी का नाम हटाने का निर्णय किया है। गुवाहाटी में आयोजित साप्ताहिक कैबिनेट की मीटिंग के दौरान राज्य सरकार ने राजीव गाँधी ओरंग राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर ओरंग राष्ट्रीय उद्यान कर दिया है।
इसको लेकर कई संगठनों ने राज्य सरकार से माँग की थीं। इसे देखते हुए असम मंत्रिमंडल ने राजीव गाँधी को राष्ट्रीय उद्यान के नाम से हटाने का निर्णय लिया। राज्य में प्रकृति के क्षेत्र में कार्य करने वाला संगठन अरण्य सुरक्षा समिति ने पिछले महीने सीएम सरमा को एक ज्ञापन सौंपकर राजीव गाँधी ओरंग राष्ट्रीय उद्यान का नाम बदलकर ओरंग राष्ट्रीय उद्यान करने की माँग की थी। इसके साथ ही इलाके में निवास करने वाले आदिवासी और चाय जनजाति भी राजीव गाँधी का नाम हटाने की माँग कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि दारांग, उदलगुरी और सोनितपुर जिलों में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान भारतीय गैंडों, रॉयल बंगाल टाइगर, पिग्मी हॉग, जंगली हाथी, जंगली भैंस जैसे जंगली जानवरों के मशहूर है। 79.28 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस पार्क को 1985 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया था। किन्तु, बाद में 1999 में अपग्रेड कर राष्ट्रीय उद्यान बना दिया गया।
बता दें कि ओरंग वन्यजीव अभयारण्य का नाम मूल रूप से 1992 में पूर्व पीएम राजीव गाँधी के नाम पर रखा गया था। हालाँकि, उस दौरान जनता ने इसका जमकर विरोध किया था, जिसके बाद इसे रोक दिया गया था। किन्तु, 1999 में इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किए जाने के बाद तत्कालीन तरुण गोगोई की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने 2001 में इसका नाम बदलकर जबरन राजीव गांधी ओरंग राष्ट्रीय उद्यान कर दिया था।