पाकिस्तान के खिलाफ भारत को एक और कूटनीतिक जीत हासिल हुई है. आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया है. बताते चलें कि इससे पहले FATF ने पाकिस्तान को आतंक का दाग धोने के लिए तीन महीने का समय दिया था.
तीन दिनों से पेरिस में चल रही इस बैठक में पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ शिकंजा कसे जाने के लिए चर्चा चल रही थी. पाकिस्तान के खिलाफ यह कदम अमेरिका द्वारा दिए गए प्रस्ताव पर उठाया गया है. पाकिस्तान की आतंकी फंडिंग को लेकर यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान के ठीक बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाक द्वारा आतंकवादियों पर लगाम कसने के लिए उठाए जा रहे कदमों से अमेरिका संतुष्ट नहीं है. व्हाइट हाउस का यह भी कहना है कि पहली बार अमेरिका पाकिस्तान को उसके कामों के लिए जवाबदेह बना रहा है.
अनाम सूत्रों के हवाले से रायटर्स ने बताया कि FATF ने पाकिस्तान को टेरर फायनेंसिंग की ‘ग्रे सूची’ में डालने का फैसला किया है. हालांकि पाकिस्तान के एक मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि इस संबंध में पाकिस्तान को आधिकारिक तौर पर कोई सूचना नहीं मिली है. उन्होंने कहा, ‘हमें आधिकारिक बयान आने से पहले अटकलबाजी करने से बचना चाहिए.’
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के इस कदम के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को आर्थिक लेन-देन के दौरान काफी जांच पड़ताल के दौर से गुजरना पड़ेगा. पाकिस्तान के बैंकिंग सेक्टर की वैश्विक निगरानी बढ़ जाएगी.
पाकिस्तान को ग्रे सूची में डालने का प्रस्ताव ऐसे समय में सामने आया है जब आतंकी फंडिंग के मसले पर चीन और गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल ने चुप्पी साध ली थी. FATF के प्रस्ताव को ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी ने समर्थन दिया है. गैर-भारतीय राजनयिक स्रोतों से रायटर्स ने बताया कि चीन और गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल ने प्रस्ताव के खिलाफ राय जाहिर की.
यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका को FATF की ग्रे सूची में डाला गया हो. इससे पहले वह 2009 से 2015 तक इस सूची में रहा है. अभी उत्तर कोरिया, इराक, सीरिया, यमन और इथोपिया इसी सूची में शामिल हैं.
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