खाना बचाकर कमाएं लाखों: खाद्य प्रौद्योगिकी एवं प्रसंस्करण तकनीक के जरिए बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री का प्रसंस्करण कर उन्हें खराब होने से बचाया जा सकता है तथा बाजार में उपभोग हेतु सही चीजें उपलब्ध कराई जा सकती है। अगर आंकड़ों की मानें, तो इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगभग ढाई लाख से अधिक रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं। जी.बी.पंत एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखण्ड, इग्नू, मैदानगढ़ी, नई दिल्ली, नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल और सरदार बल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकीविश्वविद्यालय, मेरठ में कोर्स कराए जाते हैं।
शहद बेचकर मोटी कमाई: अगर आप शहद बेचकर अच्छी कमाई करना चाहते हैं, तो मधुमक्खी पालन का क्षेत्र भी आपके लिए उपयुक्त हो सकता है, लेकिन इसके लिए आपको इससे संबंधित कोर्स करने होंगे, जिससे आप इस क्षेत्र को बखूबी समझ सकें। मधुमक्खी पालन विभाग, कृषि भवन नई दिल्ली व खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, गांधी दर्शन, नई दिल्ली और स्मॉल स्केल इंडस्ट्री मंत्रालय, भारत सरकार, निर्माण भवन, नई दिल्ली में ये कोर्स कराए जाते हैं।
दूध में सेहत भी कमाई भी: डेयरी टेक्नोलॉजी भी प्रशिक्षित पेशेवरों के लिए कार्य के कई विकल्प उपलब्ध कराता है। यहां सार्वजनिक व निजी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के कई विकल्प हैं। यहां प्रशिक्षित लोगों को डेयरी फार्म, कोऑपरेटिव सोसायटी, ग्रामीण बैंकों, मिल्क प्रोडक्ट्स प्रोसेसिंग व मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में कार्य के मौके मिलते हैं। डेयरी तकनीक में दक्ष व्यक्ति चाहें तो अपना मिल्क प्लांट, क्रीमरी, आइसक्रीम यूनिट भी शुरू कर सकते हैं। नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल और आनंद एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, आनंद (गुजरात) में संबंधित कोर्स कराए जाते हैं।
महकते फूलों में कमाई: फूलों के उत्पादन के काम ने भी रोजगार के नए अवसर खोले हैं। इस क्षेत्र में फूलों के उत्पादन से लेकर उसकी पैकेजिंग व आपूर्ति तक का प्रबंधन शामिल है। फूल उगाने से लेकर फूलों का व्यापार, उत्पादन, पौधारोपण और उसके बीजों का संरक्षण जैसे कार्य फ्लोरिकल्चर में शामिल हैं। इस उद्योग में फार्म मैनेजर, पौधारोपण विशेषज्ञ, प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर जैसे कई पद हैं। कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी, कॉलेज ऑफ हॉर्टी कल्चर एंड फॉरेस्ट्री, अरुणाचल प्रदेश, सर्टिफिकेट कोर्स इन फ्लोरिकल्चर, नालंदा ओपन विश्वविद्यालय, पटना और इलाहाबाद स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर, इलाहाबाद में कोर्स कराए जाते हैं।
रूरल मैनेजमेंट में रोजगार के मौके: रूरल मैनेजमेंट यानी ग्रामीण प्रबंधन में कृषि उत्पाद, उद्योगों तथा खादी ग्रामोद्योग पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए योग्यता स्नातक निर्धारित है। रूरल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद आप एनजीओ, गवर्नमेंट डेवलपमेंट एजेंसी, को-ऑपरेटिव बैंक, इंश्योरेन्स सेक्टर आदि में भी नौकरी के लिए प्रयास कर सकते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, जयपुर, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली और एमिटी स्कूल ऑफ रूरल मैनेजमेंट, नोएडा में संबंधित कोर्स कराए जाते हैं।
रेशम उद्योग में कैरियर: सेरिकल्चर यानी रेशम उद्योग से संबंधित क्षेत्र में अपना कैरियर बनाना चाहते हैं, तो बारहवीं (बायोलॉजी से) के बाद इसमें भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। सेंट्रल सेरिकल्चर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, मैसूर और शेर-ए-कश्मीर विश्वविद्यालय ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी, जम्मू में संबंधित कोर्स कराए जाते हैं