8 नवंबर 2017 यानी आज नोटबंदी को एक साल हो चुका है। वहीं पहली बरसी पर नोटबंदी से जुड़े कुछ ऐसे सच सामने आए हैं, जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है। नोटबंदी को पूरा एक साल बीत चुका है। पिछले साल आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और हजार रुपये के नोट बंद करने की घोषणा की थी। इस तारीख को शायद ही कोई भूल पाए। नोटबंदी की घोषणा होने के तीन महीने तक हर व्यक्ति को परेशानी झेलनी पड़ी।
बाद में अधिकतर लोगों की जिंदगी पटरी पर लौट आई, मगर कुछ तबका ऐसा था, जिसे काफी समय तक परेशानी झेलनी पड़ी। नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर सरकार के इस एतिहासिक कदम पर लोगों की क्या राय है, इसे जानने के लिए की टीम ने चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला के कुल 225 लोगों से बात की। जवाब में मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है। नौकरीपेशा, गृहिणी और स्टूडेंट मानते हैं कि नोटबंदी का फैसला सही था। मगर इसे लागू करने में कुछ खामियां रही गई थीं।
हालांकि कारोबारियों का अलग रुख है। छोटे कारोबारी तो संतुष्ट दिख रहे हैं, मगर बड़े कारोबारी नोटबंदी से निराश हैं। 51 प्रतिशत मानते हैं कि सरकार का नोटबंदी का फैसला बिलकुल सही था, जबकि 49 प्रतिशत इसे गलत मानते हैं। 41 प्रतिशत लोग कहते हैं कि नोटबंदी सरकार का सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट था, जबकि 57 प्रतिशत लोग मानते हैं कि पब्लिसिटी स्टंट नहीं था। सबसे चौंकाने वाला जवाब स्टूडेंट का रहा है। वे सरकार के इस कदम का पूर्ण समर्थन करते हैं। आधे से ज्यादा नौकरीपेशा नोटबंदी का समर्थन करते हैं, जबकि आधे नहीं।
2.नोटबंदी से फायदा हुआ या नहीं।
3.क्या मानते हैं कि इससे नकली नोट, आतंकवाद, कालेधन और नशाखोरी पर रोक लगी
4.क्या मानते हैं नोटबंदी सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है?
5.क्या आप मानते हैं कि नोटंबदी से भविष्य में अर्थव्यवस्था मजबूत होगी
सर्वे में आया यह रिजल्ट
1. क्या आप सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही मानते हैं?
51 प्रतिशत लोगों ने माना है कि वे नोटबंदी के फैसले को सही मानते हैं। 49 प्रतिशत लोग सरकार के फैसले को गलत कदम मानते हैं।
2. नोटबंदी से फायदा हुआ या नहीं।
53 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। 23 प्रतिशत लोगों ने माना कि उन्हें फायदा हुआ है। 24 प्रतिशत लोग इस सवाल पर कुछ नहीं बोले।
3. क्या मानते हैं कि इससे नकली नोट, आतंकवाद, कालेधन और नशाखोरी पर रोक लगी।
52 प्रतिशत लोग मानते हैं कि कोई रोक नहीं लगी। 37 प्रतिशत लोग मानते हैं कि रोक लगी है। इसका असर धीरे-धीरे आएगा। 11 प्रतिशत लोग बोले वे कोई जवाब नहीं दे सकते।
4. क्या मानते हैं नोटबंदी सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है?
57 प्रतिशत लोग बोले कि वे नोटबंदी कदम को पब्लिसिटी स्टंट नहीं मानते। 41 प्रतिशत लोग मानते हैं कि यह सरकार का पब्लिसिटी कदम था।। 2 प्रतिशत लोग इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए।
5. क्या आप मानते हैं कि नोटंबदी से भविष्य में अर्थव्यवस्था मजबूत होगी?
52 प्रतिशत लोग मानते हैं कि इससे अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी। 41 प्रतिशत लोग मानते हैं कि इससे अर्थव्यव्यस्था को मजबूती मिलेगी। 7 प्रतिशत लोग इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए।
कैश निकालने में इतनी पाबंदियां लगा दी हैं कि अब लोग सिर्फ आवश्यकतानुसार वस्तुओं पर ही रुपया खर्च कर रहे हैं। लग्जरी आइटम को खरीदने से परहेज कर रहे हैं। जब डिमांड ही नहीं होगी बाजार कैसे चलेगा। हालांकि छोटे कारोबारी इससे निराश नहीं दिखते हैं। छोटे कारोबारी कहते हैं कि उन्हें इस फैसले से कोई फर्क नहीं पड़ा।
यूथ ने नोटबंदी के पक्ष में खड़ा
ट्राइसिटी का यूथ नोटबंदी के समर्थन में है। वो मानता है कि देश सुधार के लिए ऐसे कदम जरूरी है। 40 से ज्यादा स्टूडेंट को शामिल किया गया। इनमें से 87 प्रतिशत सरकार के नोटबंदी के फैसले को सपोर्ट करते हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि जब इस तरह के कदम उठाए जाते हैं तो कुछ लोगों को परेशानी तो आती है। कुछ युवा बोले कि उसे लागू करने में कुछ खामियां रह गई थी। इससे कुछ दिन तो परेशानी आई थी, मगर बाद में सब ठीक हो गया था।
नौकरीपेशा की मिली जुली राय
सर्वे में करीब 70 नौकरीपेशा लोगों को भी शामिल किया गया। हालांकि इनकी मिली जुली राय रही। 36 लोग मानते हैं कि नोटबंदी सही फैसला था। जबकि 34 लोग इस कदम को गलत मानते हैं। जब उनसे सवाल पूछा गया कि नोटबंदी से आपको फायदा हुआ या नहीं, तो उनका कहना था कि न तो उन्हें फायदा हुआ और न ही नुकसान। हालांकि इनमें से कुछ ने कहा कि नोटबंदी के एक से डेढ़ महीने तो परेशानी आई, मगर बाद में उन्हें किसी तरह की दिक्कते नहीं आई।