मोदी सरकार में काले धन पर लगातार वार किया जा रहा है, ऐसे में आनेवाले वक्त में काले धन के कारोबारियों के लिए कोई जगह सुरक्षित नहीं रहनेवाली है। शेयर बाजार भी अब सरकार की निगाह में आ चुका है क्योंकि यह काला धन छिपाने की एक सुविधाजनक जगह बन गया है। पिछली साल से सरकार रत्न और आभूषणों के खुदरा कारोबार में भी ज्यादा पारदर्शिता लाने की कवायद कर रही है।
अब सरकार जेम्स ऐंड जूलरी सेक्टर पर कड़ी नजर रखने के लिए नए नियम तैयार कर रही है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, खुदरा आभूषण दुकानदारों को 6 लाख रुपये से ज्यादा की खरीद की जानकारी फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट को देनी होगी। रिपोर्ट में एक सरकारी अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि प्रस्ताव पर काम हो रहा है। नए नियम ऐशो-आराम के अन्य सामान बेचनेवाले दुकानदारों पर भी लागू होंगे।
अगस्त 2017 में सरकार ने जेम्स ऐंड जूलरी डीलरों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) के अधीन ला दिया। इसके तहत 2 करोड़ रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाले जूलरों को रिपोर्टिंग एंटिटीज में तब्दील कर दिया गया। इस आदेश से नकारात्मकता का माहौल पैदा हो गया था क्योंकि रिपोर्टिंग की रकम की सीमा नहीं तय की गई थी। ऐसे में जूलर्स 50,000 रुपये से ज्यादा के कैश ट्रांजैक्शन की जानकारी सरकार को देने लगे। इसका असर त्योहारी मौसम में जूलरी की खरीद पर पड़ा और लोग आभूषण खरीदने से बचने लगे।
पिछले साल अक्टूबर महीने में सरकार ने अपने अगस्त के आदेश को वापस लेते हुए रत्न-आभूषणों के कारोबारियों को पीएमएलए से मुक्त कर दिया। तब राजस्व सचिव हंसमुख अधिया ने कहा था कि सरकार काले धन पर रोक लगाने के लिहाज से सोने या बहुमूल्य पत्थरों की खरीद के लिए नकद रकम देने की सीमा तय करेगी। उन्होंने कहा था, ‘इस मामले में उठाए गए उचित मुद्दों पर बातचीत करके और सभी पक्षों से सलाह लेकर अलग से एक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा।’
नोटबंदी के बाद सरकार ने नगद लेनदेन की पड़ताल कड़ी कर दी और 2 लाख रुपये से ज्यादा के नकद लेनदेन पर रोक लगाते हुए 50,000 रुपये या इससे अधिक के नकद लेनदेन पर पैन कार्ड देने को अनिवार्य कर दिया था। नोटबंदी से एक फायदा यह हुआ कि 1.6 से 1.7 लाख करोड़ रुपये के संदेहास्पद बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स अधिकारियों की पकड़ में आ गए।
उन लोगों की धर-पकड़ के लिए डेटा ऐनालिटिक्स पर काम जोर-शोर से चल रहा है। टैक्स डिपार्टमेंट 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के ऐलान के बाद बैंकों में जमा संदिग्ध रकम और संदिग्ध नकद लेनदेन की छानबीन के जरिए नोटबंदी के दूसरे हिस्से पर काम कर रहा है। बड़े नकद लेनदेन की जानकारी मिलने से सरकार को फर्जीवाड़े के जरिए काले धन के खेल का पता चल जाएगा। डेटा ऐनालिटिक्स के जरिए विभिन्न तरह के लेनदेन को एक-दूसरे से जोड़कर परखा जा सकेगा जिसका पता लगाना पहले नामुमकिन था।