हिंद महासागर में चीन अपना दखल काफी आगे बढ़ा चुका है. ऐसे में भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से अपनी स्थिति मजबूत करना बेहद जरूरी है.
हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने के लिए भारत अब नई रणनीति पर काम कर रहा है. तमिलनाडु के तंजावुर में ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस सुखोई लड़ाकू विमानों का स्क्वॉड्रन बनाया गया है.
यह सुखोई फाइटर जेट की पहली स्क्वॉड्रन है जिसे आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस सुखोई विमान इस स्क्वाड्रन को ‘टाइगर शार्क्स’ नाम दिया गया है.
‘टाइगर शार्क्स’ दक्षिण भारत का पहला स्क्वाड्रन है. हालांकि चीन और पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए पश्चिमी और पूर्वी फ्रंट पर पहले से ही 11 स्क्वाड्रन मौजूद हैं. इस स्क्वाड्रन में चौथी पीढ़ी के सुखोई विमानों (SU-30MKI) को शामिल किया गया है.
शुरुआत में इस स्क्वाड्रन में 5-6 फाइटर जेट्स को शामिल किया गया है. लेकिन बाद में इसकी मजबूती बढ़ाई जाएगी. बाद में इसमें और भी फाइटर जेट्स को शामिल किया जाएगा.
SU-30MKI यानी कि चौथी पीढ़ी के सुखोई विमानों की खुद की रेंज 1200 किलोमीटर है और इसमें लगी ब्रह्मोस मिसाइल की 300 किलोमीटर की अतिर्कित रेंज है. इससे भारत अपने दुश्मन देश के समुद्री हिस्से के अंदर घुसकर हमला कर सकता है.
भारतीय एयर फोर्स ने बताया है कि यह दक्षिण भारत का पहला स्क्वाड्रन है.