अब शहरों से ज्यादा तेज़ गांवों में फ़ैल रहा ओरल कैंसर, पढ़े पूरी ख़बर

मुंह का कैंसर अब गांवों के लोगों को तेजी से जकड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज के अध्ययन में पता चला है कि ओरल कैंसर के कुल मरीजों में 70 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र के हैं। वर्ष 2010 तक कुल मरीजों में ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिशत केवल 34 होता था। रिसर्च जीएसवीएम के पैथोलॉजी-टाक्सीलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने तीन साल में पूरा किया है। इसमें 200 मरीजों की कैंसर स्टेज, कारण व पृष्ठभूमि का अध्ययन किया गया।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह अध्ययन सख्त चेतावनी जैसा है। उप्र के ग्रामीण क्षेत्रों में गुटखा, तंबाकू और धूम्रपान को इसकी वजह माना जा सकता है। विशेषज्ञों ने स्टडी में 21 साल के नौजवान से 90 साल के बुजुर्ग तक को शामिल किया है। इनमें कई युवाओं ने बहुत कम उम्र में इनका सेवन शुरू कर दिया और दस साल बीतते-बीतते वे ओरल कैंसर के पंजे में फंस गए।

जागरूकता की कमी
कैंसर को लेकर जागरूकता शहरों में दिख रही है पर गांव इससे कोसों दूर हैं। कैंसर जब हो जाता या दूसरी स्टेज पार कर जाता है तब ग्रामीण डॉक्टर तक पहुंच रहे हैं। स्टडी के अनुसार मरीजों में कैंसर की शुरुआत यानी डिस्प्लेजिया की तीन स्टेज हल्का, मध्यम और गंभीर मिलीं पर मध्यम और गंभीर का औसत सर्वाधिक रहा है। साफ है कि मुंह के घावों को नजरअंदाज करने में जब कैंसर ने घेर लिया तो मरीज जागे और इलाज के लिए भागे।

कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष
– महिलाओं की तुलना में पुरुषों में तीन गुना ओरल कैंसर
– 88 फीसदी मरीजों को कैंसर और प्री कैंसर सिर्फ तंबाकू सेवन से
– कुल मरीजों में 75.5 प्रतिशत पुरुष
– कुल मरीजों में 24.5 फीसदी महिलाएं
-सबसे ज्यादा ओरल कैंसर जीभ, गाल, तालू और होंठों में पाया गया

ये बने शिकार
गुटखा खाने वाले: 49 फीसदी
तंबाकू-सिगरेट सेवन: 35 फीसदी
पान मसाला खाने वाले: 11.5 फीसदी
धूम्रपान करने वाले: 2.5 फीसदी

लत का वक्त निर्णायक
3.5 फीसदी को 10 साल तक सेवन पर कैंसर हुआ
27 फीसदी को 11-20 साल सेवन पर कैंसर हुआ
37 फीसदी को  21-30 साल सेवन पर कैंसर हुआ
21.5 फीसदी को  31-40 साल सेवन पर कैंसर हुआ

कैंसर के चरण
– पहला चरण: सबम्यूकस फाइब्रोसिस
लक्षण: मुंह कम खुलना, भोजन में दिक्कत
– दूसरा चरण: ल्यूकोप्लेकिया
लक्षण: मुंह में सफेद चकत्ते और खुरदुरापन
– तीसरा चरण: डिस्प्लेजिया
लक्षण: मुंह में घाव का 15 दिन में ठीक न होना
– चौथा चरण: सीवियर डिस्प्लेजिया
लक्षण: कैंसर की शुरुआत

हेड पैथोलॉजी विभाग जीएसवीएम मेडिकल कालेज, प्रो. सुमनलता वर्मा ने कहा कि कानपुर में 22 जिलों के कैंसर और प्री कैंसर मरीजों के टेस्ट किए गए। हैलट अस्पताल और जेके कैंसर संस्थान में आए रोगियों के सैंपल लिए गए। हैलट में अधिकांश की सर्जरी भी की गई। स्टडी में चौंकाने वाले रिजल्ट सामने आए हैं। अब ग्रामीण इलाकों में ओरल कैंसर का ग्राफ तेजी से बढ़ गया है। स्टडी को ग्लोबल जर्नल फॉर रिसर्च एनालिसिस में जगह भी मिली है।

पूर्व निदेशक जेके कैंसर संस्थान, डॉ. एमपी मिश्र ने कहा कि ओरल कैंसर का ट्रेंड बदल गया है। गांवों में युवा वर्ग ओरल कैंसर का शिकार हो रहा है। उसे प्री कैंसर और कैंसर में जब तकलीफ बढ़ जाती है तब टेस्ट कराने आ रहा है। 12 साल में ओरल कैंसर में शहर पीछे हो गए।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com