टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप ही काम करेगी। वह शीर्ष अदालत के आदेश को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद टेलीकॉम मंत्रालय ने मोबाइल नंबर को आधार से लिंक करना अनिवार्य कर दिया था। जिसका लोगों ने विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट में सरकार के इस आदेश के खिलाफ याचिका भी दायर है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सूचित किया कि आधार को जोड़ने की समय सीमा दिसंबर के अंत में खत्म हो रही थी, जिसे बढ़ाकर अगले साल 31 मार्च कर दिया गया है।
गौरतलब है कि मोबाइल और बैंक अकाउंट को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता और इसकी संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता ने आधार को बैंक अकाउंट और मोबाइल से लिंक करने की अनिवार्यता को गैरकानूनी बताया है।
उन्होंने यह भी दावा किया है कि आधार कार्ड को बैंक अकाउंट से नहीं जोड़ने पर नागरिक पीएमएलए ऐक्ट के तहत अभियोजन के लिए उत्तरदायी हो जाएंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि हालांकि सरकार ने समय सीमा अगले साल मार्च तक बढ़ाने का फैसला किया है, लेकिन इसके बावजूद आधार से संबंधित मामले पर शीघ्र सुनवाई की जानी चाहिए।