सीतापुर की तरह लखनऊ में भी कुत्ते हमलावर हो गए। शनिवार रात घर के बाहर खेल रहे मासूम पर आवारा कुत्ते ने जानलेवा हमला कर उसके चेहरे को बुरी तरह जख्मी कर दिया। वहीं, गंभीर रूप से घायल मासूम को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ा।
हजरतगंज क्षेत्र के बापू नगर निवासी अयान (4) शनिवार (2 मई) रात आठ बजे के करीब घर के बाहर बच्चों के साथ खेल रहा था। वहीं, अचानक दौड़ते हुए आए कुत्ते ने हमला कर दिया। इससे गली में खेल रहे बच्चों में भगदड़ मच गई। इसी बीच अयान को कुत्ते ने दबोच लिया। कुत्ते ने सीधे उसके चेहरे पर ही धावा बोला और जख्मी कर दिया। अयान के रोने की आवाज सुन घर के लोग निकले। इसके बाद पिता वासू व पड़ोसी किशोर आदि लोग लाठी-डंडे लेकर आए। यह देखकर कुत्ता भाग गया, मगर खून से लथपथ अयान जमीन पर बेसुध होकर गिर गया। नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. अरविंद राव ने बताया कि कुत्ते को पकड़ लिया गया है।
जबड़ा चबाया, सिर पर भी वार
बच्चे की हालत देखकर वासू घबरा गए। उनको कुछ भी सूझ नहीं रहा था। आखिर में किशोर की मदद से बच्चे को सिविल अस्पताल ले जाया गया। यहा डॉक्टरों ने देखा तो उसका जबड़ा भी क्षतिग्रस्त था। कुत्ते ने जबड़ा चबाने का पूरा प्रयास किया, इससे उसके दो दात भी उखड़ गए। वहीं आख, सिर व चेहरा पर काफी चोटें थीं। बाहर से मंगवाया रेबीज इंजेक्शन, डीएम को फोन
वासू के मुताबिक, सिविल व ट्रामा की इमरजेंसी में रेबीज इंजेक्शन न होने का हवाला दिया गया। इसके बाद बाहर से इंजेक्शन मंगवाकर लगवाया। इस दौरान करीब 2200 की दवा मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ी। किशोर ने बताया इसकी शिकायत डीएम से रात में फोन पर की।
घर पर कराह रहा बच्चा, पड़ोसी कर रहे मदद
किशोर ने बताया कि वासू की आर्थिक स्थिति कमजोर है। इसलिए वह बच्चे का प्राइवेट में इलाज कराने में सक्षम नहीं है। ऐसे में बच्चे को घर पर ले आया है। वहीं केजीएमयू में डॉक्टरों द्वारा बाहर से मंगवाई गई दवा पास के ही एक डॉक्टर को दिखाकर उसका इलाज कर रहे हैं। सिविल से रेफर, केजीएमयू में पाच घटे दौड़ाया
वासू व किशोर के मुताबिक, सिविल में रात में रेबीज इंजेक्शन नहीं लगाया गया। एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाकर केजीएमयू के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। वहीं, रात नौ बजे ट्रामा पहुंचने पर भी बच्चे को तत्काल इलाज नहीं मुहैया कराया गया। यहा पहले अयान को ट्रामा से एंटी रेबीज वार्ड और फिर पीडियाटिक विभाग भेजा गया, वहा से प्लास्टिक सर्जरी विभाग रेफर कर दिया। इसके बाद डॉक्टरों ने नेत्र रोग विभाग भेज दिया। यहा भी इलाज न मिलने पर रात दो बजे परिजन बच्चे को लेकर फिर ट्रामा पहुंचे। डॉक्टरों ने घायल बच्चे की क्लीनिंग के साथ टाका लगाया। क्या कहते हैं सिविल के डॉक्टर?
सिविल अस्पताल निदेशक डॉ. हिम्मत सिंह दानू का कहना है कि इमरजेंसी में रेबीज इंजेक्शन रहता है। वहीं टाका लगाने की भी सुविधा है। बच्चे की हालत गंभीर थी, इसलिए उसे ट्रामा रेफर किया गया।
क्या कहना है केजीएमयू सीएमएस का?
केजीएमयू सीएमएस डॉ. एसएन शखवार के मुताबिक, कुत्ते के काटने का इलाज अस्पतालों में भी संभव है। बच्चे को बेवजह रेफर किया गया। ट्रामा में वैसे भी क्षमता से अधिक मरीज रहते हैं। यहा डॉक्टरों ने यथासंभव बच्चे को इलाज मुहैया कराया। रेबीज इंजेक्शन भी उपलब्ध था, मगर उसे तुंरत लगाने की आवश्यकता नहीं थी।
अधूरा इलाज कर किया डिस्चार्ज
किशोर के मुताबिक ट्रामा में ड्रेसिंग व टाका लगाकर अधूरा इलाज कर डिस्चार्ज कर दिया गया। अयान को डॉक्टरों ने सुबह चार बजे घर ले जाने का फरमान सुना दिया। वहीं 2200 रुपये की दवा मंगवाने का हवाला दिया गया तो उन्होंने निजी डॉक्टर से पूछकर इलाज शुरू करने को कहा। बापू नगर इलाके में लोगों का छलका दर्द
– निवासी श्रवण कुमार का कहना है कि हजरतगंज के बापू नगर इलाके में कुत्तों का आतंक है। बच्चों का घर से बाहर खेलना मुश्किल हो गया है। लेकिन जिम्मेदार लोग इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
– वहीं, वासू कहते हैं कि बेटा अयान घर के बाहर खेल रहा था। इसी बीच कुत्ते ने उस पर झपट्टा मारकर चेहरे पर काट लिया। चीख पुकार सुनकर आस-पास के लोगों ने बच्चे को छुड़ाया।
– स्थानीय निवासी सुनील धानू ने बताया कि सीतापुर में कुत्तों द्वारा बच्चों की जान लेने के बाद भी राजधानी के अधिकारी सक्रिय नहीं हुए। जगह-जगह यहा कुत्ते और अवारा मवेशी घूमते रहते हैं।
– क्राशू का कहना है कि गनीमत है कि बच्चे की चीख पुकार सुनकर मौके पर पहुंचे लोगों ने बच्चे को बचा लिया। थोड़ी देर हो जाती तो बच्चे की स्थिति और गंभीर हो सकती थी।
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