नई दिल्ली /मुम्बई : किसानों के कर्ज माफ़ करने का मुद्दा सरकार के लिए गले की हड्डी बन गया है.यूपी चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने किसानों के कर्ज माफ करने का एलान किया था. बीजेपी के चुनाव घोषणा पत्र में भी इसका उल्लेख किया गया था.
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इसके बाद कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा था कि यूपी में कर्ज माफी की राशि केंद्र देगा लेकिन अब केंद्र सरकार कीओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि किसान कर्ज माफी के रुपए केंद्र नहीं देगा. राज्य अगर किसानों का कर्ज माफ करते हैं तो उन्हें खुद इसका खर्च उठाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती कि एक राज्य के किसानों को कर्ज माफी दे और दूसरे को नहीं.
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उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसान कर्ज माफ किए जाने पर आपत्ति लेते हुए उन्होंने भी अनुशासन बिगड़ने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि कर्ज लेने वाले कर्ज चुकाने के बजाय अगले चुनाव का इंतजार करेंगे.किसान कर्ज माफी का विरोध करने वालों में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा भी शामिल हो गए हैं.
गुरुवार को डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने कहा कि इससे कर्ज लेने और देने वाले के बीच अनुशासन बिगड़ता है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यह रिजर्व बैंक का रुख नहीं है. सरकार की तरफ से भी इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। मूंदड़ा ने यह जरूर कहा कि आरबीआई पारंपरिक रूप से किसान कर्ज माफी के खिलाफ रहा है. उन्होंने कहा, ज्यादा जरूरी यह देखना है कि कर्ज माफी की जरूरत है या नहीं. अगर है तो उसका तरीका क्या होना चाहिए.
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