इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) की फर्जी डिग्री अब एक नजर में देखते ही पकड़ी जा सकेगी। इविवि प्रशासन ने फर्जीवाड़ा रोकने के लिए डिग्री में बदलाव करने का निर्णय लिया है। चालू सत्र से इविवि में पढऩे वाले विद्यार्थियों को हाईसिक्योरिटी डिग्री दी जाएगी। इसमें कई प्रकार के सिक्योरिटी फीचर्स होंगे। नई व्यवस्था से डिग्रियों में काटछांट, छेड़छाड़ और फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।
जानिए नई डिग्री में क्या हैं खूबियां
अब तक ए-3 साइज में दी जाने वाली डिग्री ए-4 साइज में मिलेगी। इससे विद्यार्थियों को रखने में सहूलियत होगी। चालू सत्र से दी जाने वाली डिग्रियों में कई सिक्योरिटी फीचर्स होंगे। वाटर प्रूफ होने से भीगने पर भी डिग्री को नुकसान नहीं होगा। डिग्री इस तरह से बनाई जाएगी कि डेटा में बदलाव करने की जरूरत पडऩे पर सभी सिक्योरिटी फीचर्स में बदलाव किया जा सकेगा। डिग्री में अल्फा न्यूमेरिक बार कोड, अल्फा न्यूमेरिक क्यू आर कोड, स्कैन न होने वाला यूनिवर्सिटी लोगो और होलोग्राम होगा। अगर किसी छात्र को मार्कशीट के फर्जी होने का संदेह हो तो क्यू आर कोड स्कैन करते ही पूरी जानकारी सामने होगी।
इस सत्र से मिलेगी हाईसिक्योरिटी डिग्री
फोटोकापी करवाकर गलत प्रयोग भी कोई नहीं कर सकता क्योंकि फोटोकॉपी वाले पेज पर अपने आप क्यू आर कोड वाली जगह कॉपी लिखकर प्रिंट होगा और विवि का लोगो गायब हो जाएगा। इविवि के परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर रामेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि डिग्रियों में फर्जीवाड़े को लेकर अहम बदलाव किए जा रहे हैं। कुलपति की अनुमति के बाद चालू सत्र से ही हाईसिक्योरिटी डिग्री छात्र-छात्राओं को दी जाएगी।
आतंकी ने भी लगाई थी फर्जी डिग्री
13 सितंबर 2008 को दिल्ली के सीरियल बम विस्फोट के आरोपित अंसारुल हस्सान ने भी इविवि की फर्जी डिग्री लगाई थी। जामिया मिलिया में स्नातक में प्रवेश के लिए दी परीक्षा में असफल होने पर आतंकी कंप्यूटर स्पीकिंग का कोर्स करने लगा। आंध्र प्रदेश में पुलिस, पीएससी की भर्ती और शुआट्स में शिक्षक पद पर नौकरी के लिए भी फर्जी डिग्री पकड़ी जा चुकी है।