जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का असर शुरू हाे गया है। औद्योगिक विकास को पंख लगने की उम्मीदें हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान से प्रेरित होकर पंजाब का उद्योग समूह ट्राईडेंट ग्रुप जम्मू-कश्मीर में एक हजार करोड़ रूपये का निवेश करेगा। ग्रुप के इस फैसले का अन्य औद्योगिक घरानों पर भी असर पड़ने की संभावना है।

टाईडेंट ग्रुप के अनुसार यह फैसला जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद लिया गया है। कंपनी के चेयरमैन राजिंदर गुप्ता ने अमेरिका से फोन पर बताया कि वह जम्मू-कश्मीर में अपने बिजनेस को बढ़ाने के इरादे से नहीं जा रहे हैं बल्कि वहां के विकास में योगदान देने के लिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि घाटी में निवेश के बाद वहां के लोगों के जीवन स्तर को उन्नत करने के साथ-साथ खूबसूरत वैली को भी विकसित करना उनका मुख्य उद्देश्य है। गुप्ता ने कहा कि कुछ लोगों की सोच होती है कि वह उद्योग लगाएं पैसा कमाएं और अमीरों के समूह में शामिल हो जाएं लेकिन उनका ग्र्रुप इससे बिल्कुल इतर है। हमारा ध्येय लोगों की बेहतरी के लिए काम करना है।
ग्रुप के चेयरमैन ने कहा कि उनके जम्मू कश्मीर में विभिन्न क्षेत्रों स्माल स्केल उद्योगों के ब्लूप्रिंट भी तैयार हैं जिनमें निवेश करना है। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में उनके निवेश से नारी सशक्तिकरण को बल मिलेगा और महिलाओं को सशक्त करना उनकी प्राथमिकता भी है। उन्होंने कहा कि घाटी में उनके निवेश से करीब दस हजार परिवार लाभान्वित होंगे। ट्राईडेंट ग्रुप कागज, काटन, धागा, कपड़े से लेकर विद्युत उत्पादन भी करता है।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद पाकिस्तान द्वारा भारत से व्यापारिक संबंध तोडऩे को पंजाब निर्यातकों ने पाकिस्तान के लिए नुकसानदेह बताया है। इससे भारत की बजाय पाकिस्तान को अधिक नुकसान झेलना होगा। फेडरेशन ऑफ करियाना एंड ड्राई फ्रूट कमर्शियल एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल मेहरा ने कहा है कि पाकिस्तान के इस फैसले से उसकी अपनी मुसीबतें बढ़ सकती हैं। पाकिस्तान भारत से सब्जियां और मसाले आयात करता है।
इस फैसले के बाद पाकिस्तानी बाजारों में इन चीजों की आपूर्ति पर विपरीत परिणाम देखने को मिल सकता है। भारत पाकिस्तान से सीमेंट, जिप्सम और रॉक साल्ट जैसी चीजें चीजें आयात करता है। लेकिन भारत में इन सभी पदार्थों की उपयुक्त आपूर्ति के चलते पाकिस्तान से इनका आयात न होने का भारतीय बाजार में कोई विशेष प्रभाव नहीं होगा।
उन्होंने इतना अवश्य माना कि पाकिस्तान के इस फैसले से अफगानिस्तान से भारत आने वाले ड्राई फ्रूट की आपूर्ति पर कुछ असर अवश्य पड़ सकता है। अमृतसर के अटारी बॉर्डर से 2007 में भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक लेन-देन शुरू हुआ था।
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