प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा अच्छा काम करने वालों की हौसला अफजाई करते रहते हैं और उनकी तारीफ करने से नहीं चूकते। वह अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए ऐसे खास लोगों के बारे में देशवासियों को बताते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण शुक्रवार दोपहर को देखने को मिला। जब उन्होंने महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल नायडू की वरिष्ठ नर्स को उनके निजी फोन पर कॉल किया और उनके काम की प्रशंसा की।
कर्मचारी यह जानकर हैरान हो गईं कि खुद प्रधानमंत्री ने उन्हें फोन किया है। प्रधानमंत्री ने सिस्टर से बात की शुरुआत करते हुए कहा, ‘नमस्ते सिस्टर छाया। आप कैसी हैं?’- जिसपर सिस्टर ने कहा, ‘मैं बिलकुल ठीक हूं सर।’ इसके बाद प्रधानमंत्री ने पूछा कि बताइये आप अपने परिवार को अपनी सेवा भाव के प्रति कैसे आश्वस्त कर पाईं, क्योकि आप इन दिनों जी-जान से सबकी सेवा में लगी हुई हैं, तो परिवार को भी चिंता होती होगी। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘हां चिंता तो होती है लेकिन काम तो करना पड़ता है सर। सेवा देने की है। इसलिए हो जाता है थोड़ा।’
प्रधानमंत्री ने सिस्टर से पूछा कि जब नए मरीज आते हैं तो बड़े डरे हुए आते होंगे तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि हां बहुत डरे हुए आते हैं। जब एडमिट किया लेकिन हम सर उनसे जाकर बात करते हैं कि डरिए मत, कुछ नहीं होगा। आपकी रिपोर्ट अच्छी आएगी और यदि पॉजिटिव आई तो भी डरने की कोई जरुरत नहीं है। इस अस्पताल से सात मरीज ठीक होकर चले गए हैं। हम उन्हें दवाई देते हां, बात करते हैं तो उन्हें अच्छा लगता है। लेकिन उनके मन में डर रहता है जिसे हम निकालते हैं।
पुणे में कोविड-19 के उपचार के लिए नामित आइसोलेशन वार्ड में से एक नायडू अस्पताल के प्रभारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ संजीव वावरे ने कहा, ‘नायडू अस्पताल में नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण के रोगियों की देखभाल करने के लिए कुल 60 नर्स शामिल हैं। जब नायडू अस्पताल में काम करने वाली नर्सों की जानकारी के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने गुरुवार को हमसे संपर्क किया, तो हमने उन्हें कुछ नाम दिए।’
उन्होंने बताया, ‘शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने उनमें से एक नर्स छाया जगताप को फोन किया। वह नायडू अस्पताल में पिछले 20 सालों से नर्स का काम कर रही हैं। उन्होंने उनसे बात की और देश भर में उनके काम और अग्रिम पंक्ति पर काम करने वाली कई अन्य नर्सों की सराहना की, जो इतनी बहादुरी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं और अपनी देखरेख में इलाज करवा रहे मरीजों का मनोबल बढ़ा रही हैं।’