नई दिल्ली : भाजपा नेता वरुण गांधी द्वारा मतदान को अनिवार्य बनाने के प्रावधान वाले निजी विधेयक पर संसद के आगामी सत्र में विचार किया जाएगा. लोकसभा सचिवालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, अनिवार्य मतदान विधेयक 2014 पर लोकसभा में विचार किया जाएगा और राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 117 उपबंध 3 के तहत इस पर विचार करने की मंजूरी दी है.
वरुण गांधी ने बताया कि कहा कि भारत विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहां मजबूत संसदीय प्रणाली है. ऐसे में इस विधेयक में मतदान के अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव किया गया है ताकि लोग बड़ी संख्या में इसमें भाग ले सकें. इसमें यह भी प्रस्ताव किया गया है कि वैसे मतदाता जो लोकसभा और राज्य विधानसभा के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं, उन्हें प्रोत्साहन दिया जाए.
पहली बार 500 फिर हर बार 10 हजार का जुर्माना
विधेयक में कहा गया है कि अगर कोई पात्र मतदाता अपना मतदान नहीं कर पाता है, तब पहली बार मतदान न कर पाने के लिए 500 रुपए जुर्माना और उसके बाद प्रत्येक बार मतदान न कर पाने के लिए 10 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा.
वोटिंग से जोड़ी जा सकती हैं कई सुविधाएं
प्रस्ताव कहा गया है कि मतदान करने वाले व्यक्तियों को सार्वजनिक वितरण प्रणाणी के माध्यम से सहायता प्राप्त दरों पर खाद्यान्न और सामाजिक सुरक्षा सुविधा मुहैया कराई जाए, जिसमें वृद्धावस्था पेंशन, नि:शक्तता पेंशन और स्वास्थ्य देखरेख सुविधा शामिल है.
कम मतदान है इस बिल के प्रस्ताव की वजह
विधेयक के उद्देश्यों कारणों में कहा गया है कि वर्तमान में किसी उम्मीदवार को अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को प्राप्त मतों से एक मत भी अधिक प्राप्त होने पर निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है. वह सीट पर विजयी होता है, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उसे मतदाताओं की आधी संख्या का भी समर्थन प्राप्त नहीं हो.
सच्चे अर्थो में वह उस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, जिससे उसे निर्वाचित किया गया है. इसमें कहा गया है कि प्रत्येक निर्वाचन में मतदान किए गए मतों का प्रतिशत कम हो रहा है. इससे यह पता चलता है कि लोग निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेने के इच्छुक नहीं हैं. ऐसे में यह विधेयक प्रस्तुत किया गया है.