पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग का समर्थन करते हुए नीति आयोग ने कहा है कि तेल, प्राकृतिक गैस और बिजली को इस दायरे में लाना चाहिए। आयोग ने सभी तरह की ऊर्जा पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर समान रखने की वकालत भी की है।
आयोग ने यह सुझाव “स्ट्रैटेजी फॉर न्यू इंडिया एट 75” शीर्षक से जारी किए रणनीति दस्तावेज में दिया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली और नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार द्वारा जारी दस्तावेज में कहा गया है कि तेल, प्राकृतिक गैस, बिजली और कोयला को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है ताकि इन क्षेत्रों में भी इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा मिल सके। इसके अलावा आयोग ने सभी तरह की ऊर्जा पर जीएसटी की दर समान रखने की सिफारिश की है। आयोग ने स्मार्ट ग्रिड और स्मार्ट मीटर को प्रोत्साहित करने की रणनीति भी सुझाई है।
नीति आयोग ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का यह सुझाव ऐसे समय में दिया है जब 22 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की 30वीं बैठक प्रस्तावित है। जीएसटी काउंसिल ही यह तय कर सकती है कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए या नहीं।
केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली इस काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री बतौर सदस्य शामिल हैं। ऐसे में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी में शामिल करने का आयोग का सुझाव काफी महत्वपूर्ण है। आयोग ने विमानन ईंधन यानी एटीएफ को भी जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव दिया है।
उल्लेखनीय है कि पेट्रोल, डीजल और एटीएफ सहित पांच पेट्रोलियम उत्पाद जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। हाल के महीनों में पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ने के चलते अलग अलग वर्गों की ओर से इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग की गई है।
नीति आयोग ने आयुष्मान भारत कार्यक्रम के तहत 1,50,000 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की स्थापना की गति बढ़ाए जाने और उन्हें 2022-23 तक प्राथमिकता आधार पर चालू करने की भी जरूरत बताई, ताकि सस्ती प्राथमिक चिकित्सा का दायरा बढ़ सके और सेकेंडरी और टर्शियरी केयर पर बोझ कम हो सके।
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