लखनऊ में अक्टूबर में भी कोरोना अनकंट्रोल बना हुआ है। माह में हजारों में मरीज वायरस की चपेट में आ चुके हैं। वहीं, डेढ़ सैकड़ा की मौत हो चुकी है। शासन की सख्त हिदायत के बावजूद अफसर वायरस की चेन ब्रेक करने में नाकाम हो रहे हैं।
राजधानी के कई मोहल्ले वायरस की चपेट में हैं। सरकारी आंकड़ों में अक्टूबर में वायरस का प्रकोप घटा है। मगर, हकीकत उलट है। कारण, कोरोना के लक्षण वाले एंटीजेन रैपिड किट से निगेटिव आए सभी मरीजों का तत्काल आरटीपीसीआर न कराना भी रहा। ऐसे में मरीजों में वायरस के हकीकत की पड़ताल भी नहीं हो सकी। बावजूद 24 दिनों में शहर में 8729 कोरोना के नए मरीज मिले। वहीं, 157 मरीजों की वायरस ने जान ले ली। अभी भी अस्पतालों में कई मरीज वेंटिलेटर पर हैं। इनकी जिंदगी खतरे में है।
इन मोहल्लों में ज्यादा प्रकोप
शहर के इंदिरा नगर, गोमती नगर में कोरोना वायरस टॉप पर बना है। यहां दो माह से वायरस का प्रकोप छाया हुआ है। हर रोज तमाम मरीज िनकल रहे हैं। वहीं रायबरेली रोड , जानकीपुरम, हजरतगंज, तालकटोरा, अलीगंज, विकास नगर , आशियाना, महानगर, चिनहट, सरोजिनी नगर, चौक में भी हर रोज मरीज पाए जाा रहे हैं। यहां वायरस की चेन ब्रेक नहीं हो पा रही है। वहीं अब तक होम आईसोलेशन में 45475 मरीज रहे। इसमें 43273 ठीक हो चुके हैं। वहीं रविवार को 35 नएमरीज मिले।
कई मरीजों की दोबारा टेस्टिंग
शहर में कोरोना के लक्षण वाले ऐसे कई मरीज रहे। इनकी सिर्फ एंटीजेन रैपिड किट से जांच हुई। निगेटिव आने पर आरटीपीसीआर जांच नहीं कराई गई। जबकि आइसीएमआर की गाइड लाइन में रैपिड किट से निगेटिव आए मरीजों की आरटीपीसीआर टेस्ट अनिवार्य है। अफसरों की इन्हीं लापरवाही से शहर में कोरोना फैलता रहा। सीएमओ डॉ. संजय भटनागर ने ऐसे मरीजों की अब दोबारा जांच के नर्देश दिए हैं।