2015 में आरक्षण आंदोलन के दौरान एक भाजपा विधायक के दफ्तर पर हमले के मामले में लगातार दूसरी बार कोर्ट में पेश न होने पर कोर्ट ने यह वारंट जारी किया था। विसनगर सत्र न्यायाधीश वीपी अग्रवाल ने हार्दिक के अलावा सरदार पटेल ग्रुप के लालजी पटेल समेत छह लोगों के खिलाफ ये वारंट जारी किया था।
इन सभी पर पाटीदारों के आंदोलन के दौरान विसनगर के विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ का आरोप है। हार्दिक व अन्य को इस मामले में जमानत मिली हुई थी। इससे पहले, हार्दिक के वकील राजेंद्र पटेल में कोर्ट से कहा कि वह काफी व्यस्त हैं, लिहाजा उन्हें व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी जाए। हालांकि कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी थी। वह लगातार दूसरी बार कोर्ट में पेश नहीं हुए जबकि लालजी पटेल व अन्य पहली बार कोर्ट में अनुपस्थित रहे।
इसी अदालत ने इससे पहले हार्दिक की वह याचिका खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के केंद्र रहे मेहसाणा जिले में प्रवेश की अनुमति मांगी थी। हार्दिक ने गुजरात हाईकोर्ट की जमानत शर्तों में छूट देते हुए उन्हें मेहसाणा आने देने की गुहार लगाई थी। पाटीदार की अगुवाई वाला आंदोलन गुजरात में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग कर रहा है। भाजपा सरकार के उनकी मांगें न मानने पर हार्दिक काफी मुखर हैं। वह कई बार भाजपा और पीएम मोदी पर तीखे हमले कर चुके हैं।
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