हरियाणा लोक सेवा आयोग के पूर्व उप सचिव अनिल नागर ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की। इसमें उन्होंने ईडी द्वारा गिरफ्तार करने की आशंका जताई। हाईकोर्ट ने 11 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बीच 22 दिसंबर को ईडी ने नागर को गिरफ्तार कर लिया। अब हाईकोर्ट ने कहा कि इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने डेंटल सर्जन और एचसीएस प्रारंभिक परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े के आरोपी हरियाणा लोक सेवा आयोग के पूर्व उप सचिव अनिल नागर की अग्रिम जमानत याचिका को वापस लेने की छूट देते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।
इस मामले में नागर ने अर्जी दायर कर बताया था कि उसने ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने की आशंका के चलते अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी, जिस पर हाईकोर्ट ने 11 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रखा था। इस बीच 22 दिसंबर को ईडी ने उसे गिरफ्तार कर लिया। हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि अब इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका वापस लेने की छूट देते हुए खारिज कर दी।
दायर याचिका में नागर ने बताया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उसके खिलाफ मामला दर्ज किया है और उसे बार-बार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है। इससे पहले स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने उसके खिलाफ 17 नवंबर 2021 को मामला दर्ज किया था। ब्यूरो ने 19 नवंबर 2021 को उसे व अन्य दो युवकों को गिरफ्तार किया था। उन सभी पर आरोप लगाए गए कि एचपीएससी द्वारा आयोजित डेंटल सर्जन की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा में उपस्थित हुए उम्मीदवारों के अंकों में हेरफेर करने में वे शामिल थे।
याचिका के अनुसार जांच दल उसके व लिखित परीक्षा में अंकों की हेराफेरी करने वालों आरोपितों के बीच किसी भी तरह का संबंध साबित करने में असफल रहा है। उसे इस मामले में फंसाया जा रहा है। इसके बाद 22 दिसंबर 2021 को ईडी ने उसके खिलाफ एक मामला दर्ज कर लिया। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने विजिलेंस द्वारा दर्ज मामले में उसे नौ जनवरी 2023 को जमानत दे दी थी। इसके बाद उसे पता चला कि ईडी उसे गिरफ्तार करना चाहती है।