तीन सीनियरों की अनदेखी कर सेना प्रमुख पद पर हुई लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति पर विवाद मामले को विशेषज्ञों ने बेवजह बताने केसाथ ही सरकार को सतर्कता बरतने की सलाह दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी परिस्थिति में कौन बेहतर सेना प्रमुख साबित होगा यह देखना सरकार का काम है।
लेफ्टिनेंट जनरल शांतनु चौधरी ने इस विवाद पर कहा कि आजाद भारत में यह पहला मौका नहीं है जब वरिष्ठता की अनदेखी की गई है। मेरा मानना है कि नियुक्ति मामले में स्पष्टता और पारदर्शिता जरूरी है। यह ठीक है कि आखिरकार सरकार को ही तय करना होता है कि इस पद के लिए उसकी नजर में सबसे उपयुक्त कौन साबित होगा।
मगर ऐसे निर्णय लेते यह सरकार को यह ध्यान रखना होगा कि इससे सेना के ही विभिन्न विभागों में काम कर रहे कनिष्ठों के मन में संदेह पैदा न हो। चौधरी ने यह भी कहा कि विवाद से बचने के लिए सीवीसी सहित अन्य संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुख पद पर नियुक्ति जैसी प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।
मगर ऐसे निर्णय लेते यह सरकार को यह ध्यान रखना होगा कि इससे सेना के ही विभिन्न विभागों में काम कर रहे कनिष्ठों के मन में संदेह पैदा न हो। चौधरी ने यह भी कहा कि विवाद से बचने के लिए सीवीसी सहित अन्य संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुख पद पर नियुक्ति जैसी प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।