ज्यादातर घरों में मसाले प्लास्टिक के डिब्बे में ही रखे जाते हैं। लेकिन क्या कभी यह जानने की कोशिश की है कि जिस डिब्बे में आप मसाले या अन्य खाने-पीने की चीजें रख रही हैं, वह उस फूड आइटम के लिए सुरक्षित है भी या नहीं।
शोध की मानें, तो मसालों को प्लास्टिक के डिब्बों में रखने से मोटापा, न्यूरोलॉजिकल और स्पर्म संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। प्लास्टिक आइटम्स में BPA के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला केमिकल है प्थालेट्स। ये केमिकल्स शरीर के हार्मोन्स को ही प्रभावित नहीं करते, बल्कि इससे मोटापा, डायबिटीज, जल्दी बुढ़ापा आने और ब्रेस्ट कैंसर जैसी समस्याओं के होने की आशंका भी रहती है।
शोध की मानें, तो मसालों को प्लास्टिक के डिब्बों में रखने से मोटापा, न्यूरोलॉजिकल और स्पर्म संबंधी स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। प्लास्टिक आइटम्स में BPA के बाद सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला केमिकल है प्थालेट्स। ये केमिकल्स शरीर के हार्मोन्स को ही प्रभावित नहीं करते, बल्कि इससे मोटापा, डायबिटीज, जल्दी बुढ़ापा आने और ब्रेस्ट कैंसर जैसी समस्याओं के होने की आशंका भी रहती है।प्लास्टिक में अन्य रासायनिक तत्व भी पाए जाते हैं, जो भोजन को गर्म करते समय उसमें घुल जाते हैं। इसलिए अच्छा हो कि आप इन मसालों को कांच के डिब्बों में ही रखें। सबसे सुरक्षित डिब्बे कांच के ही माने जाते हैं। अगर आप प्लास्टिक का इस्तेमाल कर भी रही हैं, तो खाने की चीजों को रखने के लिए 1, 2, 4 और 5 कैटेगरी का प्लास्टिक सही है।
ये बेहतर फूड ग्रेड कैटेगरी में आते हैं। नंबरिंग के अलावा BFA फ्री, BFR फ्री या लेड फ्री का मार्क भी देखें। 2-3 साल में प्लास्टिक कंटेनर व बॉटल आदि बदल दें, क्योंकि लंबे समय तक इस्तेमाल करने से प्लास्टिक खाने में खतरनाक केमिकल छोड़ने लगता है।
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