संसद का बजट सत्र आज से, पेश होगा आर्थिक सर्वेक्षण

नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र आज से शुरू हो रहा है। आम बजट पेश होने से 1 दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है। यह सर्वे तमाम सेक्टर्स की तस्वीर पेश करते हुए अर्थव्यवस्था की झलक दिखलाता है। आज पेश होने वाले सर्वेक्षण से पहले हम अपनी इस खबर में आपको सर्वेक्षण से जुड़ी तमाम छोटी बड़ी बातें बता रहे हैं।

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क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे?

वार्षिक आर्थिक सर्वेक्षण आमतौर पर सालाना आम बजट से ठीक एक दिन पहले पेश किया जाता है। यह अर्थव्यवस्था की एक वार्षिक आर्थिक रिपोर्ट होती है। इस साल देश के केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 31 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) पेश करेंगे। 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश किया जाना है।

इकोनॉमिक सर्वे में क्या होता है शामिल?

यह देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष संभावनाओं और चुनौतियों का एक विस्तृत ब्यौरा होता है। इसमें सेक्टर के हिसाब ब्यौरा होता है साथ ही उन पर टिप्पणियां और आवश्यक सुधार उपायों का उल्लेख होता है। इस सर्वेक्षण का दृष्टिकोण सरकार की भावी नीतियों का खाका तैयार करने में मददगार होता है।

इकोनॉमिक सर्वे कौन ड्रॉफ्ट करता है?

इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2017 मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम और उनकी टीम तैयार किया है।

जीडीपी ग्रोथ का होता है पूर्वानुमान?

इस सर्वे के माध्यम से आर्थिक विकास दर का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसमें पर्याप्त कारणों के साथ यह बताने की कोशिश की जाती है कि क्यों आगामी वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी या फिर धीमी रहेगी।

क्या सर्वे में नीतियों में परिवर्तन का सुझाव दिया जाता है?

सफल मुख्य आर्थिक सलाहकारों ने इकोनॉमिक सर्वे के जरिए नीतियों में बदलाव की सिफारिशें की हैं। कभी कभी इसमें व्यापक उपाय भी सुझाए गए हैं। अगर इस साल के इकोनॉमिक सर्वे की बात करें तो इसमें यूनीवर्सल बेसिक इनकम की सिफारिश होने की उम्मीद है। यह लोगों के बैंक बैंक खातों में सीधे पैसा हस्तांतरण करके गरीबी उन्मूलन करने की एक योजना है।

क्या ये सिफारिशें बाध्यकारी होती हैं?

इकोनॉमिक सर्वे के माध्यम से जो भी सिफारिशें की जाती हैं वो सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होती हैं। यह सिर्फ एक पॉलिसी गाइड होती है। बीते सालों के इकोनॉमिक सर्वे में कुछ ऐसी सिफारिशें की गई हैं जो कि सत्ता में मौजूद सरकार की पार्टी लाइन के ठीक उलट थी। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि आर्थिक सर्वेक्षण में की गईं सिफारिशें सालाना बजट प्रस्तावों में परिलक्षित नहीं हुई हैं।

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