प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के प्रति अभिभावकों को आगाह करने के लिए शिक्षा निदेशालय ने जरूरी जानकारी दी जा रही है। निदेशालय की ओर से बताया गया है कि अभिभावक स्कूलों के बहकावे में न आएं। ये निर्देश निजी स्कूलों में दाखिले को लेकर चलने वाली मनमानी से संबंध में आया है। प्राइवेट स्कूलों के प्री (प्ले स्कूल) व मॉन्टेसरी स्कूल उनके मुख्य स्कूल का ही हिस्सा होंगे। यह वह एक ही सोसायटी की ओर से चलाए जा रहे हैैं तो वह अलग-अलग दाखिला प्रक्रिया नहीं चला सकेंगे। फिलहाल में शिक्षा निदेशालय की ओर से नर्सरी दाखिले को लेकर जारी की गई गाइडलाइन प्री व मॉन्टेसरी स्कूल पर भी लागू होंगी।
असल अभिभावकों की शिकायत रहती हैै कि कई स्कूल प्री स्कूल के दाखिला मानकों का खुलासा नहीं करते हैैं। इसका बहाना करके वह किसी भी तरह डोनेशन लेके दाखिला ले लेते हैं।
बताया जा रहा है कि वर्ष 1999 में आदेश दिया गया था कि यदि प्रमुख स्कूल व प्री स्कूल को एक ही सोसायटी द्वारा चलाया जा रहा है, तो वह स्कूल अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही माना जा सकता है। एडमिशन नर्सरी डॉट कॉम प्रमुख सुमित वोहरा ने बताया कि बीते सालों में अभिभावकों की शिकायतें आती रही हैं कि प्री स्कूल में दाखिले के लिए मानक नहीं बताए जाते हैं। स्कूल प्ले स्कूल के नाम पर ही आगे प्रमोट करते हैं। मानक नहीं बनाए जाने से मुख्य स्कूलों में डोनेशन लेकर दाखिला होता है।
किस तरह मनमानी करते हैं स्कूल – कई बार यह देखने में आता है कि कई नामी स्कूल अलग-अलग नाम से शाखाएं चलाते हैं। इनकी दाखिला प्रक्रिया भी अलग चलाई जाती है। एक तरफ कुछ स्कूल बच्चे को मॉन्टेसरी स्कूल से अपने मुख्य स्कूल में प्रमोट नहीं करते हैं। वह अलग से दाखिला प्रक्रिया चलाते हैं या डोनेशन लेकर दाखिला करते हैं। इससे अभिभावकों को दो-दो बार दाखिला कराने की मशक्कत करनी पड़ती है। नर्सरी दाखिले से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि अभिभावकों को स्कूलों के बहकावे में आने की बजाय इस बात की पुष्टि करनी चाहिए कि प्ले स्कूल से बच्चा मुख्य स्कूल में प्रमोट होगा या नहीं। इसके अलावा इस बात का पता लगाया जाना चाहिए की प्ले स्कूल बड़े स्कूलों का कोई हिस्सा है भी या नहीं|