घर की गरीबी दूर करने के लिए और दुर्भाग्य से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा विशेष रूप से की जाती है। श्रीहरि की पूजा से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। उज्जैन के इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी और भागवत कथाकार पं. सुनील नागर के अनुसार विष्णुजी और उनके अवतार श्रीराम, श्रीकृष्ण की पूजा में एक बात का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। जब भी हम श्रीकृष्ण की पूजा करें या भगवान के दर्शन करें तो उनकी पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए। इस संबंध में शास्त्रों में एक कथा बताई गई है।
विष्णुजी के दर्शन करते समय इनकी पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए
नागर के अनुसार विष्णुजी के दर्शन करते समय इनकी पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इनकी पीठ पर अधर्म का वास है।
इस संबंध में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की एक कथा प्रचलित है
पीठ के दर्शन न करने के संबंध में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की एक कथा प्रचलित है। जब श्रीकृष्ण जरासंध से युद्ध कर रहे थे, तब जरासंध का एक साथी असुर कालयवन भी भगवान से युद्ध करने आ पहुंचा। कालयवन श्रीकृष्ण के सामने पहुंचकर ललकारने लगा। तब श्रीकृष्ण वहां से भाग निकले। इस प्रकार रणभूमि से भागने के कारण ही श्रीकृष्ण का नाम रणछोड़ पड़ा। जब श्रीकृष्ण भाग रहे थे, तब कालयवन भी उनके पीछे-पीछे भागने लगा। इस तरह भगवान रणभूमि से भागे, क्योंकि कालयवन के पिछले जन्मों के पुण्य बहुत अधिक थे और श्रीकृष्ण किसी को भी तब तक सजा नहीं देते जब कि पुण्य का बल शेष रहता है।