वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल में आपरेशन के दौरान एक महिला के पेट में सूई और रुई छोडऩे का मामला संज्ञान में आया है। आरोप लगाते हुए महिला के पति ने लंका थाने में तहरीर दी है। जिला प्रशासन ने भी जांच शुरू कर दी है। वहीं अस्पताल प्रशासन ने मामले को खारिज कर दिया है। स्त्री एवं प्रसूति विभाग प्रो. निशा रानी अग्रवाल ने बताया कि मरीज के पति के आरोप में सच्चाई नहीं है। हमने ही पहली बार उसकी जान बचाई थी। बिना वजह मामले को तूल दिया जा रहा है। चिकित्सा अधीक्षक एसएस अस्पताल बीएचयू डा. ओपी उपाध्याय ने बताया कि हमारे पास अभी कोई लिखित शिकायत नहीं आई है। शिकायत आने पर मामले की जांच कराई जाएगी।
2013 में प्रसव के दौरान हुआ था आपरेशन
चकिया, चंदौली निवासी संजय की पत्नी रीना का पहली बार स्त्री एवं प्रसूति रोग की प्रो. निशा रानी अग्रवाल की देखरेख में वर्ष 2013 में प्रसव आपरेशन हुआ है। आरोप है कि उस दौरान पेट में रुई व सूई छोड़ दी गई, जिसे दोबारा आपरेशन कर निकाला गया। रीना का दूसरा प्रसव आपरेशन जून 2015 में हुआ था, साथ ही नसबंदी भी की गई। आरोप है कि आपरेशन से पहले हुए अल्ट्रासाउंड में सामान्य स्थिति थी।
आपरेशन के डेढ़ महीने बाद उसको फिर से दर्द होने लगा, फिर से बीएचयू के अस्पताल में दिखाया गया। आरोप है कि इस बार स्त्री एवं प्रसूति विभाग की डाक्टर ने सर्जरी का मामला बताते हुए सर्जरी विभाग में भेज दिया। यहां पर बताया गया कि गांठ है, बताया कि फिर यहां पर जब आपरेशन हुआ तो दो सूई निकली लेकिन फिर भी दर्द नहीं बंद हुआ।
मरीज 29 जनवरी को जब अस्पताल गई तो मरीज से ही डाक्टरों ने कह दिया गया कि सूई अभी निकली नहीं है, इससे मरीज भयभीत होकर गिर गई। किसी तरह वह आपरेशन थिएटर से बाहर आई, लेकिन परिजन को नहीं बुलाया गया। इसके कारण मरीज को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक शोषण से गुजरना पड़ा।